Saturday, May 18, 2024

खतौली के पूर्व चेयरमैन पारस जैन को लगा झटका, हाई कोर्ट ने जमानत की ख़ारिज

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खतौली। कस्बे के चर्चित राजा वाल्मीकि हत्याकांड के आरोपी पालिका चेयरमैन से सभासद बने पारस जैन को एक वर्ष पूर्व निचली अदालत से मिली जमानत को हाई कोर्ट ने निरस्त कर उन्हें 45 दिनों के अंदर निचली अदालत में पेश होकर पुन: ज़मानत अर्जी लगाने का आदेश देने के साथ ही अदालत को भी वादी की सुनवाई बिना ज़मानत नहीं  देने का निर्देश दिया है।

अप्रैल 2017 को होली चौक स्थित अपनी दुकान पर बैठे भाजपा नेता राजा बाल्मिकी की गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी गई थी। राजा बाल्मिकी की हत्या से आक्रोशित परिजनों के साथ समाज के लोगों ने जमकर हंगामा किया था। उस वक्त पालिका चेयरमैन होने के नाते मृतक राजा वाल्मीकि के परिजनों को सांत्वना देने मौके पर पहुंचे, पारस जैन को बाल्मिकी समाज का भारी विरोध झेलना पड़ा था। मौके पर मौजूद कोतवाली पुलिस ने पारस जैन को बामुश्किल भीड़ के आक्रोश से बचाकर निकाला था।

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मृतक राजा वाल्मीकि के भाई राणा प्रताप ने मोहल्ला देवीदास निवासी सगे भाइयों राजू वाल्मीकि और गौरव उर्फ गौरा के अलावा पारस जैन और दो अज्ञात के विरुद्ध तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने गौरव उर्फ गौरा और राजू वाल्मीकि को गिरफ्तार करके जेल भेजने के साथ ही पारस जैन को अपनी लिखा पढ़ी में क्लीन चिट दे दी थी। पुलिस की कार्यवाही के विरुद्ध मुकदमे के वादी राणा प्रताप ने धारा 319 के अंतर्गत पारस जैन के अदालत से तलबी आदेश करा दिए थे। तलबी आदेश के विरुद्ध पारस जैन ने हाई कोर्ट की शरण ली थी। हाई कोर्ट से कोई राहत न मिलने पर पारस जैन को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा था।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा निचली अदालत में पेश होकर ज़मानत कराने का आदेश देने पर बीती अप्रैल 2०23 को एडीजे कोर्ट 2 मुजफ्फरनगर में अग्रिम और नियमित ज़मानत अर्जी दाखिल की थी, जिस पर वादी राणा प्रताप ने राजा वाल्मीकि हत्याकांड से इतर पारस जैन की क्रिमिनल हिस्ट्री दाखिल करने के लिए स्थगन प्रार्थना पत्र दिया था, जिसे दरकिनार करके एडीजे कोर्ट ने पारस जैन को पहले अग्रिम तथा 4 अप्रैल 2023 को नियमित ज़मानत दे दी थी, जिसके विरुद्ध वादी राणा प्रताप ने हाई कोर्ट में अपील की थी।

हाईकोर्ट ने एडीजे कोर्ट मुजफ्फरनगर द्वारा पारस जैन को ज़मानत दिए जाने को गलत मानकर  इसे निरस्त करके इन्हें 45 दिनों के अंदर निचली अदालत में पुनः ज़मानत अर्जी दाखिल करने के साथ ही कोर्ट को कोई भी निर्णय लेने से पूर्व वादी राणा प्रताप को सुनवाई का अवसर दिए जाने के निर्देश दिए हैं।

कानून के जानकारों का मानना है कि पारस जैन के पास हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प अभी भी खुला हुआ है। हाई कोर्ट द्वारा पारस जैन को निचली अदालत से मिली ज़मानत को निरस्त किए जाने के चलते राजा वाल्मीकि हत्याकांड एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है।

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