श्रीनगर- जम्मू-कश्मीर सरकार ने कथित राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और आतंकी संबंधों के आरोप में एक डॉक्टर और पुलिस कांस्टेबल सहित चार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया।
इन कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के अंतर्गत बर्खास्त किया गया है, जो सरकार को कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगे बिना या उनके आचरण की जांच का आदेश दिए बिना बर्खास्त करने की अनुमति प्रदान करता है।
सरकार ने हालांकि, उनके कथित आतंक या राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के बारे में विशेष विवरण जानकारी नहीं दी है, जिसमें वे शामिल रहे हैं।
मंगलवार को बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में कश्मीर के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक में सहायक प्रोफेसर डॉ. निसार-उल-हसन, पुलिस कांस्टेबल अब्दुल मजीद भट, स्कूल शिक्षक फारूक अहमद मीर और उच्च शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला वाहक अब्दुल सलाम राथर शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर निवासी डॉ. निसार डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर (डीएके) के अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्हें कुछ दिन पहले एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में भी पदोन्नत किया गया था।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि उपराज्यपाल तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने और उपलब्ध जानकारी के आधार पर संतुष्ट हैं कि एसएमएचएस अस्पताल, श्रीनगर के सहायक प्रोफेसर (मेडिसिन) डॉ. निसार-उल-हसन की गतिविधियां उन्हें सेवा से बर्खास्त करने के लिए उपयुक्त हैं।
इसी तरह कुपवाड़ा निवासी कांस्टेबल अब्दुल मजीद भट, कुपवाड़ा के शिक्षक फारूक अहमद मीर और कुलगाम के प्रयोगशाला वाहक अब्दुल सलाम को भी बर्खास्त करने का आदेश जारी किया गया है।
गौरतलब है कि दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने उनकी बर्खास्तगी पर निशाना साधा है। नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि सरकार बदलने के बाद इन सभी आदेशों पर फिर से विचार किया जाएगा।
सुश्री मुफ्ती ने उनकी बर्खास्तगी को कश्मीरियों का दैनिक आधार पर अपमान करार दिया है।
गौरतलब है कि पिछले दो वर्षों में, जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए 50 से ज्यादा कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त किया है। कर्मचारियों की बर्खास्तगी अप्रैल 2021 में शुरू हुई थी और सरकार इसे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र से निपटने के लिए अपनी कोशिशों का एक हिस्सा मानती है।