मेरठ। सोशल मीडिया पर रील बनाने वाले कुछ युवा इंस्टाग्राम और फेसबुक को हथियारों की मंडी बनाए हुए थे। लेकिन पुलिस की तेज़ नज़र ने इन पर अपना शिकंजा कस दिया। पुलिस की मुस्तैद टीम ने इन अपराधी ‘इन्फ्लुएंसर्स’ को हथियारों समेत दबोच लिया। ऑपरेशन ‘शस्त्र’ के तहत पुलिस ने एक ऐसा गिरोह पकड़ा है जो तमंचे बेचने के लिए न तो गुप्त अड्डों पर जाता था, न ही किसी पुराने स्टाइल के सौदागर के पास।
ये सीधे इंस्टाग्राम पर ‘कनेक्शन’ बनाते थे और बंदूकें बिकती थीं लाइक्स और फॉलोअर्स के जरिए। शिवपुरम में हुआ तमंचों का सौदा लेकिन पुलिस पहले से तैयार थी। समय रहते टीपी नगर पुलिस और स्वाट टीम ने एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई की। जिसमें चार बदमाशों को दो बाइकों पर रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इनके पास से छह अवैध तमंचे और आठ जिंदा कारतूस बरामद हुए। ये सभी शिवपुरम फाटक क्षेत्र में हथियार बेचने की फिराक में थे।
मुखबिर की एक टिप और पुलिस की रणनीति ने इस नेटवर्क की कमर तोड़ दी। सोशल मीडिया से ‘ग्राहक’, काली नदी के किनारे से ‘सप्लाई’ पकड़े गए अभियुक्तों ने पूछताछ में जो कहानी बयां की, वो पुलिस के लिए भी चौंकाने वाली थी। इन बदमाशों ने स्वीकारा कि उन्होंने ये तमंचे 4000 रुपये में काली नदी पुल के पास रहने वाले रवि नामक व्यक्ति से खरीदे थे। फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कनेक्शन बनाकर इन्हें 6000 रुपये तक में बेचते थे।
बकौल पुलिस, ये लोग एक-दूसरे के जान-पहचान वालों के जरिए ग्राहक ढूंढते थे, और जब सोशल मीडिया से डील पक्की हो जाती, तो “डिलीवरी” के लिए निकल पड़ते। गिरोह का लीडर शातिर ‘सीरियल क्रिमिनल’ अनिल उपाध्याय पकड़े गए आरोपियों में से अनिल उपाध्याय ऐसा नाम है, जो मेरठ से लेकर गाजियाबाद, मुज़फ्फरनगर, हापुड़ और यहां तक कि हरिद्वार तक अपराध की फाइलों में दर्ज है। डकैती, अपहरण, अवैध हथियार, चोरी, गैंगस्टर एक्ट अपराध की कोई श्रेणी ऐसी नहीं बची, जिसमें अनिल का नाम न हो। अकेले उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों की फेहरिस्त एक छोटे थाने की चार्जशीट से बड़ी है।