मुजफ्फरनगर। सम्मेद शिखरजी को लेकर महामहिम राष्ट्रपति सहित प्रधानमंत्री, केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग,ग्रह मंत्रालय,झारखण्ड मुख्यमंत्री व पुलिस महानिदेशक झारखंड के नाम जैन एकता मंच,राष्ट्रीय के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुँच कर मांग पत्र सौंपा।
मांग पत्र के द्वारा जैन धर्म के सर्वाेच्च महातीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी पर्वत की शुचिता, पवित्रता, अस्मिता और अखंडता बनाये रखने के साथ ही अनेको बिंदुओं का वर्णन किया गया जिसके तहत बताया है कि जैनों के सर्वाेच्च महातीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी पर्वत पर शुक्रवार 19 जुलाई 2024 को वर्तमान झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पारसनाथ वन्दना मार्ग के पास दिशोम मांझी थान पर पूजा के उपरांत असामाजिक तत्वों द्वारा बलि दिए जाने से पर्वत की शुचिता, पवित्रता, अस्मिता और अखंडता पर प्रहार किये जाने की खबर बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी जिससे सम्पूर्ण विश्व के जैन समाज की भावनाएं आहत हुई है,पारसनाथ सम्मेद शिखरजी पर्वत सदियों से जैन धर्मावलम्बियों का विश्व प्रसिद्ध पवित्र और पूज्यनीय तीर्थस्थल है जो २४ जैन तीर्थंकरो में से २० जैन तीर्थंकरो को मोक्ष/निर्वाण भूमि है,जैन धर्म अहिंसा का वो शिखर है जो सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव की मन वचन काय द्वारा किसी भी रूप से की गयी हिंसा को स्वीकार नहीं करता,पारसनाथ सम्मेद शिखरजी पर्वत पर पशु बलि इत्यादि कृत्य कभी भी नहीं किया गया है चूँकि यह पवित्रम स्थल है इसीलिए अन्य लोगों ने हमेशा इस बात का ध्यान रखा है की पर्वत की शुचिता, पवित्रता, अस्मिता और अखंडता बनी रहे।
भारत देश के संविधान की सबसे अहम बात यही है की हम सभी भारत के नागरिक इस बात का ध्यान रखते है की किसी भी धर्म और समुदाय पर किसी भी प्रकार का प्रहार न हो,झारखण्ड सरकार ने इस बात का ध्यान रखते हुए की पर्वत की शुचिता, पवित्रता, अस्मिता और अखंडता पर किसी प्रकार का प्रहार न हो,इसके लिए पारसनाथ और मधुबन क्षेत्र को मांस मदिरा और पशु बलि से मुक्त रखने हेतु कार्यालय ज्ञापन द्वारा एक आदेश पारित किया था जिसके द्वारा यह कहा गया था कि पारसनाथ सम्मेद शिखरजी पर्वत सदियों से जैन धर्मावलम्बियों का विश्व प्रसिद्ध पवित्र और पूज्यनीय तीर्थस्थल है अतः इसकी पवित्रता अक्षुण्ण रखने हेतु सरकार प्रतिबद्ध है।
केंद्र सरकार ने भी इस बात का ध्यान रखते हुए की पर्वत की शुचिता, पवित्रता, अस्मिता और अखंडता पर किसी प्रकार का प्रहार न हो उसके आस पास वन्य जीव अभ्यराण्य और पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र की पवित्रता हेतु, केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन्य जीव प्रभाग द्वारा एक कार्यालय ज्ञापन दिनांक 05 जनवरी 2023 को झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिले में सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र और उसके आस पास वन्य जीव अभ्यराण्य और पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र की पवित्रता की रक्षा करने हेतु जारी किया गया था
परन्तु जैनों के सर्वाेच्च महातीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी पर्वत पर शुक्रवार 19 जुलाई 2024 को वर्तमान झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन द्वारा पारसनाथ वन्दना मार्ग के पास दिशोम मांझी थान पर पूजा के उपरांत असामाजिक तत्वों द्वारा बलि दिए जाने से पर्वत की शुचिता, पवित्रता, अस्मिता और अखंडता पर प्रहार ही नहीं किया बल्कि झारखण्ड सरकार के उक्त आदेश का उल्लघन भी किया है जो बहुत ही चिंता का विषय है जिस पर तत्काल प्रभाव से संज्ञान लेना अत्यंत ही आवश्यक है।
प्रतिनिधी मंडल ने कहा कि यह सार्वभौम है व आदिवासी समाज जल जंगल जमीन के उपासक है और जैन धर्म के तो मूल में ही प्रकृति के प्रत्येक जीव के संरक्षण का भाव है अतः समस्त जैन समाज मांग करता है कि उक्त घटना का संज्ञान लेते हुये श्री सम्मेद शिखर जी पर्वत पर शुक्रवार 19 जुलाई 2024 को असामाजिक तत्वों द्वारा मांझी थान पर पूजा के उपरांत बलि दिए जाने की घटना की उच्च स्तरीय जांच करवाकर दोषियों पर कानून की उपयुक्त धाराओं के तहत कार्यवाही की जाए व प्रशासन जैनों के सर्वाेच्च महातीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी पर्वत की शुचिता, पवित्रता, अस्मिता और अखंडता बनाये रखने हेतु उपयुक्त दिशा निर्देश जारी कर इस तरह के कृत्यों को रोकने का कार्य किया जाना अतिआवश्यक है।
युवा शाखा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव जैन ने कहा कि उक्त प्रकरण में बलि देने वाले असामाजिक तत्वों पर रासुका के तहत कार्यवाही होनी चाहिये।
जिलाध्यक्ष मुदित जैन व नगर अध्यक्ष अजय जैन ने सामूहिक रूप से कहा कि जैन आस्था से खिलवाड़ किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नही होगा।
युवा शाखा के प्रदेश उपाध्यक्ष रोहित जैन व युवा शाखा के जिला अध्यक्ष पुनीत जैन ने सामूहिक रूप से कहा कि मांग न माने जाने पर जैन समाज लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने को मजबूर होगा।
इस दौरान मुख्यरूप से गौरव जैन,मुदित जैन,अजय जैन,रोहित जैन,पुनीत जैन,अरिहंत जैन,आशीष जैन,अंकुर जैन’भगत जी’,सुनील जैन,नितिन जैन’मोंटू’ आदि रहे।