नयी दिल्ली। सरकार ने कहा है कि न्यायालय में क्षेत्रीय भाषाओं के इस्तेमाल को लेकर कैबिनेट को प्रस्ताव मिले थे लेकिन उन्हें मुख्य न्यायाधीश ने स्वीकार नहीं किया इसलिए फिलहाल हिंदी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं का न्यायालय में इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने एक पूरक सवाल की जवाब में कहा कि किसी भी राज्य में वहां की राज्यपाल की सिफारिश पर राष्ट्रपति की सहमति से स्थानीय भाषा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस क्रम में हिंदी का प्रयोग अधिकृत किया हुआ है और सभी राज्यों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि केंद्र के बाद तमिलनाडु, गुजरात, बांग्ला तमिल तथा छत्तीसगढ़ी में वहां की भाषाओं के न्यायालय में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल लेकर को प्रस्ताव कैबिनेट को प्राप्त हुए थे लेकिन इसे मुख्य न्यायाधीश ने स्वीकार नहीं किया था।
मेघवाल ने कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए तकनीकी माध्यम से न्यायालय की फसलों की स्थानीय भाषाओं में अनूदित किया जा रहा है। उत्तम न्यायालय के फैसले के लिए हिंदी, तमिल, मराठी, गुजरायी आदि भाषाओं में ऐप उपलब्ध कराया गया है।