श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान केंद्र शासित प्रदेश से जुड़े मसलों पर विस्तारपूर्वक अपनी बात रखी। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “यह वक्त हमारे लिए एक बड़ी चुनौती का है, और हम सब जानते हैं कि किस तरह से हमारे समाज में बर्बादी हो रही है। यह बर्बादी हर जगह में नजर आ रही है। अस्पतालों से लेकर स्कूलों तक, जहां चीजें ठीक से नहीं चल पाईं, जो संस्थान पहले से चल रहे थे, उनकी हालत ठीक नहीं है। साफ पानी का संकट भी बढ़ गया है, और इसके परिणामस्वरूप कहीं न कहीं स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं।
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उदाहरण के तौर पर, कुलगाम के एक गांव में जॉन्डिस जैसी बीमारी फैलने लगी है, क्योंकि लोगों को साफ पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति पूरे इलाके में देखने को मिल रही है, और यह सच है कि सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “इतने सारे मुद्दे और समस्याएं हैं और सरकार को इन्हें हल करने में देर नहीं करनी चाहिए। राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, और उमर (अब्दुल्ला) साहब की पहल से यह काम तेजी से हो रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की है, ताकि यहां की समस्याओं का हल निकाला जा सके।
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वह लगातार कोशिश कर रहे हैं कि रियासत की स्थिति बेहतर हो सके, ताकि यहां के लोग बेहतर तरीके से जी सकें।” एनसी प्रमुख ने कहा, “हमारा उद्देश्य यही है कि यहां के लोगों को सही तरीके से विकास के लाभ मिलें। हमारे इलाके की हालत को सुधारने के लिए ठेकेदारों को भी सुधारने की जरूरत है। खासकर जब बात यह आती है कि हमारे स्थानीय मजदूरों को काम नहीं मिल रहा, तो यह सवाल उठता है कि क्या हमारे लोग अपने इलाके में काम नहीं कर सकते? क्या वे उतने सक्षम नहीं हैं कि बाहरी ठेकेदारों की जरूरत न पड़े? अब तक जो भी ठेकेदार आए हैं, वे ज्यादातर बाहर से होते हैं, और यह हमारे लिए एक बड़ा सवाल है। हमें स्थानीय स्तर पर लोगों को काम देने की जरूरत है, ताकि उनके पास रोजगार हो और वे अपने इलाके में रहकर काम कर सकें।”
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उन्होंने आगे कहा, “बात आती है बटोत की, जो एक बहुत ही सुंदर और शांति वाली जगह है। बटोत में अद्भुत मौसम होता है, और वहां की प्राकृतिक सुंदरता ऐसी है कि उसे पर्यटन के नक्शे पर लाना बहुत जरूरी है। हमारी कोशिश है कि बटोत को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, ताकि जो यात्री कश्मीर की बर्फीली पहाड़ियों को देखने जाते हैं, वे यहां भी रुकें और बटोत की सुंदरता का आनंद लें। यहां की सुंदरता को और बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता है, और यह जगह स्थानीय पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा दे सकती है।”