नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 1860 में बने आईपीसी,1898 में बने सीआरपीसी और 1872 में बने इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीनों विधेयकों – भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को सदन से वापस ले लिया है।
बताया जा रहा है कि गृह मामलों के विभाग से संबंधित संसद की स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों के कारण इन तीनों विधेयकों को सरकार ने वापस ले लिया है। सरकार अब स्टैंडिंग कमेटी के सिफारिशों के आधार पर संशोधन के साथ नया बिल पेश करेगी।
आपको बता दें कि ,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त, 2023 को लोक सभा में 1860 में बने आईपीसी,1898 में बने सीआरपीसी और 1872 में बने इंडियन एविडेंस एक्ट को गुलामी की निशानी बताते हुए इन तीनों विधेयकों की जगह लेने वाले तीन नए विधेयकों – भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को पेश किया था।
शाह के अनुरोध पर तीनों बिलों को स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया था। राज्य सभा सभापति जगदीप धनखड़ ने 18 अगस्त, 2023 को इन तीनों विधेयकों को गृह मामलों पर विभाग से संबंधित संसद की स्टैंडिंग कमेटी ( स्थायी समिति) को जांच कर तीन महीने के अंदर रिपोर्ट देने के लिए भेज दिया था।
शाह ने इन तीनों बिलों को सदन में पेश करते हुए कहा था कि ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों की संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का उद्देश्य दंड देना था जबकि इन तीनों बिलों का उद्देश्य न्याय देना है। उन्होंने कहा कि इसमें राजद्रोह के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है,महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है, नाम बदल कर यौन शोषण करने वालो के खिलाफ सजा का प्रावधान किया गया है, दोषियों की संपत्ति कुर्की का प्रावधान किया गया है, सजा माफी को लेकर भी नियम बनाया गया है।
पुलिस, अदालत और वकीलों की जवाबदेही सुनिश्चित की गई है। उन्होंने भारतीय न्यायिक व्यवस्था और दंड व्यवस्था में आमूल चूल बदलाव का दावा करते हुए कहा कि चार साल के गहन विचार विमर्श के बाद ये तीनों बिल लाये गए हैं।