Friday, November 15, 2024

हैप्पी बर्थडे गाजियाबाद : मेरठ की एक तहसील से गाजियाबाद को जिला बने आज 48 साल

गाजियाबाद । मेरठ की एक तहसील से गाजियाबाद को जिला बने आज 48 साल पूरे हो गए। 14 नवंबर, 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस पर गाजियाबाद को जिला घोषित किया था। गाजियाबाद और हापुड़ तहसील को मिलाकर यह नया जिला बनाया गया था। उस समय हिंडन और गंगा के बीच का पूरा क्षेत्र गाजियाबाद जिले में आता था। गाजियाबाद शहर की बात करें तो उस समय यह केवल घंटाघर और गाजियाबाद तहसील तक सीमित था।
आबादी थी केवल 1.60 लाख

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जिला घोषित होते समय गाजियाबाद की आबाद मात्र 1.60 लाख हुआ करती थी। कविनगर बस रहा था और राजनगर इलाके में हरे भरे खेत, और कुछ नहीं। गाजियाबाद में कोई साधन नहीं, शिक्षा और चिकित्सा के लिए गाजियाबाद मेरठ और दिल्ली पर निर्भर हुआ करता था। अब गाजियाबाद एक विकसित जिला है और कई मामलों में मेरठ से आगे भी, लेकिन प्रदूषण का बदनुमा दाग आज गाजियाबाद को पूरी दुनिया में एक तरह से बदनाम करने का भीर काम किया, इस मुद्दे पर गाजियाबाद को गंभीर होने की जरूरत है।
कभी यहां खांडव वन हुआ करता था

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महाभारत काल में हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ के बीच के इस वन क्षेत्र खांडव वन कहा जाता था। कालांतर में मुगलों ने इस क्षेत्र को क्रीड़ा भूमि के रूप में इस्तेमाल किया और दिल्ली से कलकत्ता के बीच ग्रांड ट्रक रोड (जीटी रोड) का निर्माण किया। 1750 में मुगल शासक अहमदशाह के वजीर गाजिउद्दीन ने इस छोटे शहर को नाम दिया गाजिउद्दीन नगर, जो बाद में गाजियाबाद हो गया। मुगलकाल में बनाए गए चार दरवाजों का निर्माण कराकर सुरक्षा की व्यवस्था की गई। दरअसल मुगलों ने यहां सैनिकों के लिए सराय बनाई थी।
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पहले स्वतंत्रता संग्राम में हरनंदी किनारे मेरठ से आए सैनिकों और अंग्रेज सरकार के बीच भीषण युद्ध हुआ था। भारत छोड़ो आंदोलन में क्रांतिकारियों ने इसी गाजियाबाद से आंदोलन का नेतृत्व किया था। आजादी के समय तक मात्र एक छोटा से कस्बे गाजियाबाद को औद्योगिक नगर का रूप देने की आधारशिला एक तरह से विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए हिंदुओं ने रखी थी। उसके बाद धीरे- धीरे यह एक‌ बड़ा औद्योगिक नगर बन गया।
अपराध का बदनुमा दाग भी धुला

 

 

केवल आनंद कुमार निर्देशित फिल्म जिला गाजियाबाद के अलावा भी बहुत कुछ है, बल्कि कहा जाए आनंद कुमार की यह थ्रिलर फिल्म गाजियाबाद के इतिहास के एक काले पन्ने से ज्यादा कुछ नहीं है। कानून- व्यवस्था मजबूत होने के बाद गाजियाबाद ने इस बदनुमा दाग को धुलने का काम किया है।

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