नई दिल्ली। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हैं। उनको जल्द से जल्द सुरक्षित निकालना हमारी प्राथमिकता है। इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। उन्हें बचाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार की एजेंसियां दिन-रात काम कर रही हैं। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों से भी मदद ली जा रही है। वह गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सुरंग में फंसे सभी 41 लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए कई तरह के प्रयास विशेषज्ञों की निगरानी में किए जा रहे हैं। टनल में फंसे श्रमिकों तक पानी, भोजन, ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वहां प्रकाश की समुचित व्यवस्था है।
हसनैन ने कहा कि इस अभियान को पूरा करने के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की जा सकती है। मजदूरों तक पहुंचने के लिए अलग-अलग जगहों से खुदाई अभियान चालू है। उन्होंने कहा कि 6 इंच व्यास की पाइप लाइन के सफलता पूर्वक मलबे के आर पार किए जाने व इसके माध्यम से भोजन एवं अन्य आवश्यक सामान श्रमिकों तक पहुंचाने में सफलता मिली है। वहां चार इंच का पाइप पहले ही था अब 6 इंच का पाइप पहुंचाने में सफलता मिली है।
हसनैन ने कहा कि मौके पर एनडीआरएफ, भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी), सेना के इंजीनियर, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं, बीआरओ, डॉक्टरों की टीम और भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियां जैसी विभिन्न एजेंसियां वहां काम कर रही हैं। हसनैन ने आशा व्यक्त की है कि कल तक इस अभियान को पूरा किया जा सकता है लेकिन इस अभियान के लिए कोई तय समय-सीमा नहीं बताई जा सकती है। उन्होंने कहा कि एजेंसियां श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि हसनैन ने बीते दिनों एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि सुरंग में उत्तराखंड के 02, हिमाचल प्रदेश के 01, उत्तर प्रदेश के 08, बिहार के 05, पश्चिम बंगाल के 03, असम के 02, ओडिशा के 05 और झारखंड के सबसे अधिक 15 मजदूर फंसे हैं।
सिल्कयारा से बड़कोट के बीच निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर को सिल्कयारा की तरफ सुरंग के 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से सुरंग ढह गई थी। इसके चलते 41 श्रमिक फंस गए थे। फंसे हुए सभी 41 मजदूरों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तत्काल आवश्यक उपाय किए गए और जरूरी संसाधन जुटाए गए। बचाव अभियान के शुरुआती चरण में मलबे के बीच से 900 मिमी की पाइप पहुंचाई गई और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण एक साथ कई बचाव विकल्पों का पता लगाया गया। निर्माण से जुड़े कर्मी जहां पर फंसे हुए हैं उसकी ऊंचाई 8.5 मीटर और लंबाई 2 किलोमीटर है, जो निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा है। जगह की पर्याप्तता के चलते बिजली और पानी की आपूर्ति करने में आसानी हुई है और मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिली है।