Saturday, November 2, 2024

स्वास्थ्य जगत: सेहत से भरपूर है गुलाब का फूल

गुलाब को यूं ही फूलों का राजा नहीं कहा जाता। दिखने में यह फूल बेहद खूबसूरत होता है और इसकी हर पंखुड़ी में समाए हैं अनगिनत गुण। गुलाब के रंग-बिरंगे फूल सिर्फ ड्रॉइंगरुम में फूलदान पर ही अच्छे नहीं लगते, बल्कि इसकी पंखुडियां भी बड़े काम की हैं। गुलाब जल का इस्तेमाल फेस मास्क में भी होता है और यह खाने को भी लज्जतदार बनाता है। गुलाब विटामिन एबी 3, सी, डी और ई से भरपूर होता है। इसके अलावा इसमें कैल्श्यिम, जिंक और आयरन की भी मात्रा होती है।

अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रोकाइटिस, डायरिया, कफ, फीवर, हाजमे की गड़बड़ी में गुलाब का सेवन बेहद उपयोगी होता है। गुलाब की पंखुडियों का इस्तेमाल चाय बनाने में भी होता है। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है। पंखुडिय़ों को उबालकर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव से राहत मिलती है और मांसपेशियों की अकडऩ दूर होती है।

पेट दर्द, यूरीन से जुड़ी दिक्कतों में भी गुलाब की पंखुडिय़ों का पानी कारगर साबित होता है। गुलाब से बना गुलकंद एक आयुर्वेदिक टॉनिक है। गुलाब के फूल की भीनी-भीनी खुशबू और पंखुडियों के औषधीय गुण से भरपूर गुलकंद को नियमित खाने पर पित्त के दोष दूर होते हैं तथा इससे कफ  में भी राहत मिलती है। गर्मियों के मौसम में गुलकंद कई तरह के फायदे पहुंचाता है। हाजमा दुरुस्त रखता है और आलस्य दूर करता है। गुलकंद शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है साथ ही कब्ज को भी दूर करता है। सुबह-शाम एक-एक चम्मच गुलकंद खाने पर मसूढ़ों में सूजन या खून आने की समस्या दूर हो जाती है। महिलाओं में पीरियड के दौरान गुलकंद खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है। मुंह का अल्सर दूर करने के लिए भी गुलकंद खाना फायदेमंद होता है।

नींद न आती हो, मानसिक थकावट हो तो सिरहाने के पास गुलाब रखकर सोने से नींद आयेगी। गुलाब से बने गुलकंद में गुलाब का अर्क होता है जो शरीर को ठंडक पहुंचाता है। यह शरीर को डीहाइड्रेशन से बचाता है और तरोताजा रखता है। यह पेट को भी ठंडक पहुंचाता है। गर्मी के दिनों में गुलकंद स्फूर्ति देने वाला एक शीतल टॉनिक है, जो गर्मी से उत्पन्न थकान, आलस्य, मांसपेशियों का दर्द और जलन आदि कष्टों से बचाता है।

गुलकंद में विटामिन सी, ई और बी अच्छी मात्रा में पायी जाती है। भोजन के बाद गुलकंद का सेवन भोजन को पचाने के लिए फायदेमंद है और इसके सेवन से पाचन संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं। दिल की बीमारी में अर्जुन की छाल और देशी गुलाब मिलाकर उबालें और पी लें, हृदय की धड़कन अधिक हो तो इसकी सूखी पंखुडिय़ा उबालकर पीएं। गर्मी के कारण चेहरे पर उत्पन्न छोटी-छोटी फुंसियां गुलकंद के सेवन से धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। बच्चों के पेट में कीड़े होने पर बाय बिडिंग का चूर्ण गुलकंद में मिलाकर एक चम्मच सुबह-शाम 15 दिनों तक देने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।

गुलकंद खाने से पेट के रोग व अल्सर कब्ज आदि समस्याएं खत्म हो जाती हैं। रोजाना चम्मचभर गुलकंद खाने से आंखों की रोशनी ठीक रहती है, गर्मी के दिनों में घबराहट, बेचैनी के साथ जब दिल की धड़कने तेज हो जाती हैं, तब गुलाब को प्रात: चबाकर खाने से आराम मिलता है। गुलाब के साथ-साथ गुलाब जल भी बहुत गुणकारी होता है। गुलाब जल थकी आंखों को तुरंत आराम प्रदान करने में बहुत मददगार होता है और गुलाब जल को आंखों में डालने से एक नयी सी चमक आती है। अगर आप अधिकतर समय कम्प्यूटर पर ही काम करते हैं तो गुलाब जल को अपनी आंखों में डालना न भूलें। इससे आपकी आंखें फे्रश सी रहती है और थकान भी मिट जाती है। रोज ऑयल में एंटी-फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है। इसके अलावा महिलाएं रोजाना गुलाबजल का उपयोग करती हैं तो त्वचा में मौजूद रुखेपन को यह खत्म कर देता है।

यह एक बहुत अच्छा क्लींजर है। गुलाबजल चेहरे में मौजूद तेल और गंदगी को हटाकर, त्वचा के रोमछिद्रो को खोलने का काम करता है। जिस कारण एक्ने और मुंहासे नहीं होते। अगर आपकी त्वचा शुष्क है तो गर्मियों में अपनी त्वचा पर चंदन पाउडर में गुलाब जल मिलाकर लगाएं। त्वचा मुलायम होगी और पिंपल्स से भी निजात मिलेगी। रोज सुबह चेहरा धोने के बाद एक चम्मच गुलाब जल में नीबू की कुछ बूंदे मिलाकर हल्के हाथों से लगाकर धोएं इससे त्वचा का कालापन कम हो जाएगा।

पसीने की दुर्गंध दूर करने के लिए गुलाब की ताजी पंखुडिय़ों को थोड़े से पानी के साथ पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर पूरे शरीर पर उसकी मालिश करें। थोड़ी देर बाद स्नान करने से दुर्गंध दूर हो जाती है।
आधा सीसी के दर्द में 10 मिलीग्राम गुलाब जल में पिसा हुआ एक ग्राम नौसादर मिला लें। फिर 2-2 बूंदें नाक में टपका कर सांस जोर से खींचे। कुछ ही देर में आधा सीसी का दर्द दूर हो जाएगा।

गुलाब की पंखुडिय़ों के इस्तेमाल से वजन घटा सकते हैं गुलाब में न केवल एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुण हैं बल्कि यह लैक्सेटिव और ड्यूरेटिक गुणों से भी भरा है। लैक्सेटिव और ड्यूरेटिक होने के कारण यह मेटाबॉलिजम ठीक करता है और पेट के टॉक्सिन हटाता है। मेटाबॉलिजम तेज होने के कारण शरीर में कैलोरी लॉस तेजी से होता है और वजन पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है। आयुर्वेद में गुलाब की पंखुडिय़ों का इस्तेमाल औषधियां बनाने में किया जाता है।
-चेतन चौहान- विभूति फीचर्स

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