जिसने आत्मा को जान लिया, आत्म लोक के दर्शन कर लिए, उसकी वाणी सृष्टि, जीव, माया, मन, लोभ और मुक्ति के रहस्यों जैसे विषयों को सरलता से उद्घाटित कर देती है। वह संसार में रहता हुआ भी वैराग्य, शान्ति और करूणा को धारण कर लेता है।
उसकी वाणी के प्रभाव से ही मानव के जीवन से निराशा और उदासी तिरोहित हो जाती है। प्रत्येक शोकग्रस्त जीवन को सांत्वना, शान्ति और करूणा का संदेश मिलता है। उसकी वाणी जीवन से थके हारे, घबराये, उकताएं और निराश मन में नई जान फूंक देती है, क्योंकि उसे परम पद की प्राप्ति हो जाती है।
परम पद की प्राप्ति के लिए सदाचार, चरित्र और हृदय की पवित्रता पहली शर्त है, परन्तु लोभ और अहंकार नैतिकता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है, जो जीव सुख दुख से विरक्त होकर लोभ और अभिमान का त्याग कर देता है, पर परम पद को प्राप्त कर लेता है। प्रभु की कृपाओं का पात्र बनकर मुक्ति को प्राप्त कर लेता है।