नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय में कार्यकर्ता सुश्री प्रिया दास द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव भरत कुमार शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी गई। याचिका में आरोप लगाया गया था कि श्री शर्मा ने 1997 में अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के तहत सीपीसीबी में सहायक पर्यावरण अभियंता के रूप में नियुक्ति प्राप्त की थी, जबकि बिहार के ‘लोहार’ जाति के होने के बावजूद ‘लोहार’ जाति कभी भी केंद्र सरकार की एसटी सूची में शामिल नहीं रही है।
सीपीसीबी में प्राप्त शिकायतों की जांच अभी भी लंबित है, लेकिन याचिका में तर्क दिया गया कि श्री शर्मा की नियुक्ति प्रारंभ से ही अवैध है, और इस आधार पर उनके द्वारा उच्च पदों पर की गई सभी नियुक्तियाँ भी अवैध ठहराई जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता चिन्मय प्रदीप शर्मा और अन्य अधिवक्ताओं द्वारा किया गया, जबकि प्रतिवादियों की ओर से भारत संघ के वकील गग्गर ने पैरवी की।
उच्च न्यायालय ने अपने 23 अप्रैल 2024 के निर्णय में याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सुश्री प्रिया दास नियुक्ति से प्रभावित व्यक्ति नहीं थीं। हालांकि, अदालत ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की, जिससे जाति प्रमाण पत्र की वैधता का प्रश्न अब भी अनिर्णीत बना हुआ है।