Monday, December 23, 2024

कैसे करें कैंसर से बचाव ?

कैंसर एक घातक रोग है। हमारे गलत आहार-विहार एवं गलत जीवन शैली के कारण यह रोग काफी तेजी से फैल रहा है। इसके फैलने की गति को देखते हुए फूड न्यूट्रीशन एन्ड प्रिवेंशन ऑफ कैंसर ग्लोबल पर्सपेक्टिव रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कैंसर रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

अमेरिकन कैंसर इंस्टीट्यूट और वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के वैज्ञानिकों का कहना है कि औषधि आधारित उपचार के तरीकों के बदले खान-पान पर आधारित बचाव के तरीके अधिक कारगर साबित होंगे। यदि 400 ग्राम फल और सब्जी का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो कैंसर प्रसार को 20 प्रतिशत तक रोका जा सकता है। फल और सब्जियों में पाये जाने वाले पोषक तत्वों में कैंसर प्रतिरोधी क्षमता होती है जिसके कारण फल और सब्जियों के सेवन से मुंह, पेट, स्तन, ब्लैडर और फेफड़ों के कैंसर से बचाव होता है।

ब्रिटेन कैंसर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक अंडा और मांस का सेवन करने वाली महिलाएं स्तन कैंसर का शिकार होती हैं। मोटापे से ग्रसित महिलाओं को भी स्तन कैंसर होने की संभावना रहती है। अंडा और मांस का सेवन करने वाले लोग ज्यादातर मूत्र नली के कैंसर का शिकार होते हैं।

खाने वाले तेल से भी कैंसर होता है। तेल को बार-बार गर्म करके व्यवहार में लाना हानिकारक होता है। तलते या भूनते समय तेल अधिक पराक्साइड वाले आक्सीकृत तत्वों में परिवर्तित हो जाता है और यह पराक्साइड कैंसर रोग का कारण बन जाता है।

कैल्शियम, विटामिन सी और लौह तत्वों से रहित फास्टफूड तथा तले खाद्य पदार्थों का ज्यादा लम्बे समय तक सेवन नहीं करना चाहिए। इनका काफी दिनों तक सेवन करने से व्यक्ति को कैंसर रोग हो सकता है। फास्ट फूड के निर्माण में बार-बार गर्म किया गया तेल, हानिकारक रंग रसायन और जले-भुने खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है जो कैंसर रोग को पैदा करता है।

अधिक संतृप्त वसायुक्त भोजन खाने से महिलाएं डिम्ब ग्रंथियों के कैंसर का शिकार हो जाती हैं। दस ग्राम संतृप्त वसा का प्रतिदिन सेवन करने वाली महिलाओं में डिम्ब ग्रंथि के कैंसर होने की संभावना 20 प्रतिशत बढ़ जाती है। ऐसी महिलाओं को अंडा, मांस, घी, मक्खन और मलाई आदि वसायुक्त पदार्थों का कम से कम सेवन करना चाहिए।

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फल, हरी-साग-सब्जियां, अंकुरित दालें छिलके वाले अन्न और रेशेदार भोजन के सेवन से कैंसर रोग से बचाव होता है। फलों और हरी सब्जियों में प्रतिऑक्सीकारक बीटा कैरोटिन तत्व पाया जाता है जो कैंसर से रक्षा करता है। गाजर, खुबानी, खरबूजा, गोभी, पालक, टमाटर, बंदगोभी, लहसुन, प्याज, हल्दी, इमली, नींबू व मशरूम आदि के सेवन से भी कैंसर रोग से बचाव होता है।

लाल टमाटर में मधुमेह, कैंसर और हृदय रोगों आदि अनेकों रोगों से बचाने की क्षमता होती है इसलिए इसका अवश्य सेवन करना चाहिए। टमाटर का लाल रंग उसमें पाये जाने वाले प्रतिआक्सीकारक तत्व लाइकोपिन के कारण होता है और इसमें कैंसर से बचाने की क्षमता होती है। सिगरेट के धुएं, तम्बाकू और वायु प्रदूषण से नाइट्रोजन आक्साइड पैदा होता है जो कैंसर उत्पन्न कर सकता है। टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपिन नामक तत्व नाइट्रोजन ऑक्साइड के दुष्प्रभाव को नष्ट कर देता है।

कैंसर रोग पर शोध कर रहे अमेरिकन डाक्टर एलान कोन्नी का कहना है कि मानव शरीर में मौजूद तत्व नाइट्रोसोमिन कैंसर रोग पैदा करता है। यदि चाय का नियमित सेवन किया जाये तो यह तत्व धीरे-धीरे निष्क्रिय हो जाता है।
पत्तागोभी, पालक, बथुआ आदि हरी पत्तेदार सब्जियों को पर्याप्त मात्रा में खाना चाहिए क्योंकि इनका हरा रंग प्रति ऑक्सीकारक होता है जो कैंसर रोग से बचाता हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जानेवाला क्लोरोफिल तत्व एक शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जो सीधे हीे आंतों, मुख और आमाशय में होने वाले रोगों के संक्रमण को रोकता है। इनमें पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाते हैं।

इमली में भी कैंसर निवारक क्षमता पाई जाती है, ऐसा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन, हैदराबाद के शोधकर्ताओं का कहना है। इमली में करकुमिन नामक तत्व पाया जाता है जो बीड़ी, सिगरेट एवं वायु प्रदूषण के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को खत्म करता है।

सोयाबीन में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें 85 प्रतिशत असंतृप्त कोलेस्ट्राल रहित वसा होती है। इसका प्रतिदिन सेवन करके कोलेस्ट्राल की मात्रा 12 प्रतिशत तक घटायी जा सकती है। इसमें पर्याप्त रेशा भी होता है जो कब्ज को दूर करता है जिसके चलते कैंसर से बचाव होता है। यदि सोयाबीन का नियमित सेवन किया जाये तो आंतों के कैंसर से आसानी से बचा जा सकता है।

मशरूम में पोली सेक्केराइड नामक तत्व पाया जाता है जो कैंसर होने से रोकता है, इसलिए इसका उपयोग कैंसर उन्मूलन में लाभदायक है।
लहसुन में संक्रमण को रोकने की क्षमता होती है। विगमैन इंस्टीट्यूट ऑफ टिहमोट (इजरायल) के वैज्ञानिकों का कहना है कि लहसुन में पाया जानेवाला एलीसीन नामक तत्व एमियोवास को निष्क्रिय कर देता है, इसलिए लहसुन का सेवन करने वाले लोग पेट के कैंसर का शिकार नहीं होते हैं।

आंवले में पेक्टिन रेशा होता है जिसमें कैंसर उत्पन्न करने वाले रासायनिक तत्वों को नष्ट करने की क्षमता होती है आंवले में पाया जाने वाला पैक्टिन रेशा आंतों और रक्तवाहिनियों के संक्रमण को रोकने में मदद करता है। आंवला कोलेस्ट्राल को भी नियंत्रित करता है। हृदय रोग, नेत्र रोग, उच्च रक्तचाप, कब्ज और वृद्धावस्था में आंवला सेवन करने से लाभ मिलता है, इसलिए प्रतिदिन आंवला अवश्य खाना चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय कैंसर सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने जानकारी दी कि हल्दी कैंसर रोग में लाभदायक होती है। इसका इस्तेमाल करने से कई तरह के कैंसर से बचाव होता है।
शकरकंद, पत्तागोभी, फूलगोभी, आलू, गाजर और मूली आदि खाने से भी कैंसर से बचाव होता है। भोजन के पोषक तत्व भी हमें रोगों से बचाते हैं। कैंसर रोग विशेषज्ञों का कहना है कि भोजन चबा चबाकर खाना चािहए। भोजन चबा-चबाकर खाने से लार अच्छी तरह भोजन में मिल जाती है जिससे भोजन को ठीक से पचने में मदद मिलती है तथा शरीर में रोग उत्पन्न करने वाले कारकों को भी लार निष्क्रिय बनाती है जिससे रोगों से हमारी रक्षा होती है।

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