Wednesday, November 13, 2024

किडनी के रोगों की जांच करने के लिए IIT BHU ने किया पेपर माइक्रोचिप डिवाइस का आविष्कार

वाराणसी। किडनी रोग (क्रोनिक किडनी डिजीज या CKD) के बढ़ते मामलों के चलते अब इसका समय पर निदान और उपचार एक बड़ी चुनौती बन गया है। इस समस्या का समाधान करने के लिए IIT-BHU के वैज्ञानिकों ने एक पेपर माइक्रोचिप डिवाइस विकसित किया है, जो किडनी रोग का सस्ता, आसान और तेज़ निदान कर सकता है। इस डिवाइस को स्कूल ऑफ बायोकैमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर प्रांजल चंद्रा और पीएचडी छात्रा दिव्या ने विकसित किया है, जो पारंपरिक महंगे और समय-खपत वाली जांचों का बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।प्रोफेसर प्रांजल चंद्रा के अनुसार, CKD एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन गया है, जो दुनिया की 10% से अधिक जनसंख्या, यानी करीब 800 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रहा है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज अध्ययन के अनुसार, यह बीमारी 2040 तक मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हो सकती है। इस बीमारी से महिलाओं और हृदय रोगियों पर खास असर पड़ता है, और विकासशील देशों में इसके प्रबंधन के लिए संसाधनों की भारी कमी महसूस की जा रही है।

यह नई माइक्रोचिप सामान्य फिल्टर पेपर पर नैनोइंजीनियरिंग तकनीक से तैयार की गई है और इसमें किडनी रोग के दो प्रमुख बायोमार्कर, क्रेटिनिन और एल्ब्यूमिन का पता लगाया जा सकता है। क्रेटिनिन स्तर को स्मार्टफोन इमेजिंग सिस्टम के माध्यम से मापा जाता है, जबकि एल्ब्यूमिन की जांच के लिए एक 3D-प्रिंटेड कैस्केड का इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही CretCheck नामक एक सॉफ़्टवेयर भी है, जो परिणामों को हरे (स्वस्थ) और लाल (बीमार) संकेतों के रूप में प्रदर्शित करता है।

प्रोफेसर चंद्रा का कहना है कि यह डिवाइस विशेष रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए उपयोगी है, जहां उन्नत उपकरणों की कमी होती है। यह पारंपरिक परीक्षण की तुलना में 10 मिनट के भीतर किडनी रोग की पहचान कर सकता है, जिससे समय पर उपचार शुरू करना संभव हो सकेगा। इस डिवाइस का परीक्षण कई रोगियों पर किया गया है और इसके परिणाम Elsevier और American Chemical Society जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।

प्रोफेसर चंद्रा ने इस शोध में सहयोग के लिए IIT-BHU के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह डिवाइस ‘Make in India’ और ‘Start-up India’ जैसी योजनाओं को प्रोत्साहन देने वाला है। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए टीम को बधाई दी और इसे स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताया।

 

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