नयी दिल्ली- झारखंड के कथित नींबू पहाड़ अवैध पत्थर खनन घोटाले से जुड़े मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तीन राज्यों के 20 स्थानों पर छापेमारी की। इन तीन राज्यों में चुनावी राज्य झारखंड भी शामिल है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि इस अवैध खनन घोटाला मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कथित राजनीतिक सहयोगी पंकज मिश्रा भी संदेह के घेरे में है।
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार में स्थित कुल 20 ठिकानों पर छापेमारी की। उन्होंने बताया कि संदिग्धों और उनके सहयोगियों के झारखंड के साहिबगंज स्थित 13 ठिकानों, रांची में तीन स्थानों, गुमला के एक और बिहार के पटना एक और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में दो ठिकाने पर छापेमारी की गई।
झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। इस चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटकों से मुकाबला है।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने 50 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं, जिनमें से 40 लाख रुपये रंजन वर्मा के ठिकानों से जब्त किए गए हैं। उन्होंने बताया कि साहेबगंज में भगवान भगत के पास से एक किलोग्राम सोना और 9 एमएम की पिस्तौल के 61 कारतूस जब्त किए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि वर्मा और भगत को मिश्रा का करीबी सहयोगी माना जाता है।
सीबीआई प्रवक्ता ने एक बयान में बताया कि संपत्तियों से संबंधित बिक्री विलेख, निवेश और फर्जी कंपनियों से संबंधित दस्तावेज, समझौता पत्र और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए हैं।
सीबीआई ने झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर 23 नवंबर 2023 को मामला दर्ज किया था।
सीबीआई की रांची शाखा द्वारा पिछले साल 20 नवंबर को दर्ज प्राथमिकी में सोरेन के कथित राजनीतिक सहयोगी पंकज मिश्रा, पवित्र कुमार यादव, राजेश यादव, संजय कुमार यादव, बच्चू यादव, संजय यादव और सुवेश मंडल को नामजद किया है। केंद्रीय एजेंसी के मुताबिक ये आरोपी कथित तौर पर साहिबगंज के नींबू पहाड़ से पत्थर की ‘चोरी और अवैध खनन’ में शामिल हैं।
प्रवक्ता ने बताया, ‘‘ जांच के दौरान खुलासा हुआ कि साहेबगंज जिले में बड़े पैमाने पर अवैध खनन गतिविधियों के कारण सरकार को काफी नुकसान हुआ है, मुख्य रूप से रॉयल्टी का भुगतान न किए जाने और खनन कानूनों के उल्लंघन के कारण।’’
अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को उन संदिग्धों के परिसरों की तलाशी ली जा रही है जिनकी भूमिकाएं जांच के दौरान सामने आई है।
उन्होंने बताया कि जांच से पता चल कि प्रमुख व्यक्ति और संस्थाएं इस पूरे घटनाक्र में कथित रूप से संलिप्त थीं, जो अपनी गतिविधियों को छिपाने और अवैध रूप से प्राप्त संसाधनों या धन को अन्यत्र भेजने के लिए अनेक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे थें।
अधिकारी ने बताया, ‘‘प्रारंभिक जांच में मिले साक्ष्यों से संकेत मिले हैं कि अवैध खनन गतिविधि को अंजाम देने तथा इससे प्राप्त आय को छिपाने में प्रमुख व्यक्तियों और कंपनियों की संलिप्तता और साठगांठ थी।’’
झारखंड उच्च न्यायालय ने सीबीआई को साहिबगंज पुलिस द्वारा नामजद आरोपियों के आचरण के साथ ही याचिकाकर्ता बिजय हंसदा के आचरण की भी प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने रिट याचिका वापस लेने का अनुरोध किया था।
अदालत ने हंसदा की याचिका पर यह आदेश जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पिछले ढाई साल से ‘पत्थर माफिया’ उनके जिले के खनन अधिकारियों सहित सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से ‘अवैध खनन’ कर रहे हैं।
हंसदा ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने मिश्रा की मौजूदगी में अवैध खनन होते देखा था, लेकिन जिले के अधिकारियों से की गई उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अदालत ने याचिका पर एजेंसी को प्रारंभिक जांच (पीई) के बाद एक नियमित मामला दर्ज करने और अन्य लोक सेवकों की भूमिका की जांच करने का भी निर्देश दिया था।
प्राथमिक जांच पूरी होने के बाद एजेंसी ने आठ आरोपियों के खिलाफ अवैध खनन मामले में साहिबगंज पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी की जांच अपने हाथ में ले ली थी।