मुजफ्फरनगर। शहर कोतवाली क्षेत्र से एसटीएफ द्वारा चार टाइम बमों के साथ गिरफ्तार किये गये जावेद से पूछताछ के बाद एसटीएफ की टीम ने मुख्य अभियुक्ता इमराना को भी गिरफ्तार कर लिया है, जिससे पूछताछ में पता चला है कि वह जावेद से पहले भी बम बनवा चुकी है और बम घर में ही ना फट जाए, इस डर से काली नदी में फेंक दिए थे। जानकारी के अनुसार एसटीएफ, उत्तर प्रदेश को विगत काफी समय से फरार/पुरस्कार घोषित अपराधियों के सक्रिय होकर अपराध करने एवं अन्य अपराधों में लिप्त होने की सूचनायें प्राप्त हो रहीं थी।
इस सम्बन्ध में एसटीएफ की विभिन्न इकाईयो/टीमों को अभिसूचना संकलन एवं कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था। जिसके अनुपालन में बृजेश कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ फील्ड इकाई, मेरठ के पर्यवेक्षण में एसटीएफ फील्ड इकाई, मेरठ द्वारा अभिसूचना संकलन की कार्यवाही की जा रही थी। एसटीएफ मेरठ की एक टीम उप निरीक्षक प्रमोद कुमार, मुख्य आरक्षीगण जोशी राणा, जयवर्धन, प्रीतम भाटी एंव हे0कां0 विवेक पंवार आपराधिक अभिसूचना संकलन के सम्बन्ध में जनपद मुजफ्फरनगर में मामूर थी कि मुखबिर एंव सहयोगी केन्द्रीय अभिसूचना एजेन्सी के जरिये सूचना प्राप्त हुई कि वांछित टाईमर बम तैयार कराने वाली इमराना अपने घर पर मौजूद हैं, यदि जल्दी की जाये तो पकडी जा सकती है।
इस सूचना पर तत्काल प्रतिक्रिया करते हुए स्थानीय पुलिस को अवगत कराते हुए साथ लेकर मुखबिर द्वारा बताये गये स्थान पर पहुंच कर मुखबिर की निशानदेही पर इमराना पत्नी आजाद निवासी ग्राम-बन्तीखेडा, थाना बाबरी, जनपद शामली हॉल पता-198/30 काली नदी पुलिस के पास प्रेमपुरी, थाना कोतवाली शहर को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार इमराना ने पूछताछ पर बताया कि मैं गांव निरमाना, थाना शाहपुर जनपद मु0नगर की रहने वाली हूूॅ। मेरे पिता शकूर थे, जिनकी मृत्यू हो चुकी है। मेरी शादी करीब 30 वर्ष पहले आजाद पुत्र इजराईल निवासी बन्तीखेडा, थाना बावरी, जनपद शामली से हुई थी। मेरे तीन बच्चे पैदा हुए। बडी लड़की रूकसार पत्नी नदीम नि0 सरस्वती बिहार, हरिद्वार रोड, देहरादून में रहती है।
एक लड़का मोनू 24 वर्ष का था जिसकी 6 माह पहले अटैक से मृत्यु हो चुकी है तथा उससे छोटा लडका सोनू 21 वर्ष का है, जो कपड़े का काम करता है। मेरे पति पहले लकड़ी का काम करते थे, अब पशु पालते हैं। लगभग 20-22 वर्ष से मैं अपने पति के साथ मकान लेकर मौहल्ला प्रेमपुरी काली नदी के पुल के पास मु0नगर में रह रही हॅू तथा ससुराल बन्ती खेडा में आती जाती रहती हॅू। मैं साईबाबा के आर्शीवाद से मंगलवार व शक्र्रवार को गांव बन्तीखेडा जाती हॅू तथा वहा झाड़ फूक व दवाई देने का काम करती हॅू। मेरे पास सभी तरह के लोग आते रहते हैं। मैं करीब 20 वर्ष पहले से जावेद को जानती हॅू। उसके पिता जरीफ अहमद हकीम थे, जिनसे मैं अपनी व अपने पति की दवाई लेने उनके घर आती-जाती थी।
जावेद भी मुझे वहीं पर मिल जाता था। जावेद की मॉ नेपाल की रहने वाली है। जावेद के चाचा अर्शी लाईसैंस पर पटाखे बनाने का काम करते थे, जावेद भी उनके पास पटाखे बनाने का काम करता था। करीब 12-13 वर्ष पहले मैंने जावेद से दो बम लिये थे जो मैंने अपने घर पर रख लिये थे। एक बम की बत्ती निकल गयी थी, कोई बडी घटना न हो जाये इस डर के कारण मैंने उन्हें काली नदी में फेक दिया था। वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर में हिन्दू मुस्लिम झगड़ा हो गया था तो हिन्दूओ ने मेरा घर जला दिया था, जिसमें मेरा काफी नुकसान हो गया था, जिसे लेकर मुझमे काफी गुस्सा था।
इसके बाद मैंने जावेद पुत्र जरीफ से मुलाकात कर कुछ बम बनवाये थे ताकि आगे कोई झगड़ा हो तो उसमें काम आयेंगे। वह बम मैंने काफी समय पहले अपने मिलने वाले कुछ लोगों को दे दिये थे, जिनको मैंने दिये थे। उनके नाम पता मैं अब नही जानती हॅू। इस बार मैंने करीब 15 दिन पहले जावेद से 10 बम बनाने के लिए कहा था, सोचा था कि कोई झगड़ा व दंगा होगा तो काम आयेंगे। जावेद मीरापुर से अपने जानने वाले के पास से बारूद लाकर बम बनाता है।
इस बार बारूद कम मिलने के कारण जावेद 5 ही बम बना पाया था। जावेद ने यह भी बताया था कि एक बम गर्म होकर खराब हो गया था, जिसे काली नदी में फेंक दिया था। जावेद परसो मेरे पास 4 बम लेकर आ रहा था कि पुलिस ने उसे रास्ते मे ही पकड़ लिया।