Friday, May 16, 2025

एस जयशंकर से बातचीत में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने भारत के साथ अविश्वास पैदा करने के प्रयासों को किया खारिज

काबुल/नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार शाम अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से बात की और सत्तारूढ़ शासन द्वारा 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा करने तथा काबुल और नई दिल्ली के बीच अविश्वास पैदा करने के प्रयासों को पूरी तरह से खारिज करने की सराहना की। एस. जयशंकर ने फोन कॉल के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आज शाम कार्यवाहक अफगान विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के साथ अच्छी बातचीत हुई। पहलगाम आतंकवादी हमले की उनकी निंदा के लिए मैं उनकी तहे दिल से सराहना करता हूं।

“झूठी और निराधार रिपोर्टों के माध्यम से भारत और अफगानिस्तान के बीच अविश्वास पैदा करने के हालिया प्रयासों को उनकी दृढ़ अस्वीकृति का स्वागत किया। अफगान लोगों के साथ हमारी पारंपरिक मित्रता और उनकी विकास आवश्यकताओं के लिए निरंतर समर्थन को रेखांकित किया। सहयोग को आगे बढ़ाने के तरीकों और साधनों पर चर्चा की।” पिछले सप्ताह अफगानिस्तान ने भारत द्वारा अफगान क्षेत्र पर मिसाइल हमले करने के पाकिस्तानी आरोपों को “निराधार” करार दिया था। अफगान मीडिया आउटलेट हुर्रियत रेडियो के साथ 10 मई को एक साक्षात्कार में अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह खवारजमी ने पाकिस्तान के इस आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया था कि भारत ने अफगान धरती पर मिसाइल हमला किया है, और ऐसे दावों को झूठा और निराधार बताया था।

काबुल की यह प्रतिक्रिया भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा पाकिस्तान के “पूरी तरह से ओछे आरोपों” को खारिज करने के कुछ घंटे बाद आई, जिसमें उन्होंने आरोपों को “हास्यास्पद दावे” बताया। कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर एक विशेष मीडिया ब्रीफिंग में बोलते हुए विदेश सचिव मिस्री ने अफगान लोगों से यह याद रखने का आग्रह किया था कि किस देश ने बार-बार उनके देश में नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया है। अफगानिस्तान को अस्थिर करने और नष्ट करने में पाकिस्तान की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए मिस्री ने कहा, “यह एक बार फिर पूरी तरह से हास्यास्पद दावा है कि भारतीय मिसाइलों ने अफगानिस्तान पर हमला किया है। यह पूरी तरह से बेबुनियाद आरोप है। मैं केवल यह बताना चाहता हूं कि अफगान लोगों को यह याद दिलाने की जरूरत नहीं है कि वह कौन सा देश है, जिसने पिछले डेढ़ साल में कई मौकों पर अफगानिस्तान में नागरिक आबादी और नागरिक बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया है।”

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