गाजियाबाद। गाजियाबाद में डेंगू के 214 मरीज मिल चुके हैं। वहीं स्क्रब टाइफस ने भी पांव पसारे हैं।
135 मरीजों की जांच में 24 घंटे में 12 वर्ष के बच्चा और आठ महिलाएं समेत 12 मरीजों की पुष्टि हुई है। अब तक जिले में डेंगू के 214 मरीज मिल चुके हैं। एक स्क्रब टाइफस का भी एक मरीज मिला है। स्क्रब टायफस के अभी तक 14 मरीज मिल चुके हैं।
इस बार डेंगू के मामले में शहरी इलाके में इंदिरापुरम क्षेत्र 45 मरीजों और ग्रामीण इलाके में 35 मरीजों के साथ लोनी पहले स्थान पर हैं जबकि मोदीनगर और मुरादनगर में इस बार मरीजों की संख्या कम है। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि मिले मरीजों में इंदिरापुरम, शिप्रा सनसिटी, सिद्धार्थ विहार, शक्ति खंड-3, फतेहपुर गांव, भोजपुर, वसुंधरा, विजयनगर, लोनी सहित अन्य शहरी क्षेत्रों में मरीज मिले हैं। डीएसओ का कहना है कि जिस तरह से मौसम का उतार चढ़ाव चल रहा है, सितंबर और अक्तूबर महीना डेंगू के मामले में संवेदनशील रहेगा।
डीएसओ ने बताया कि 61 टीम ने 60 स्थानों पर 1985 घरों का सर्वे किया। इस दौरान 21 क्षेत्रों में डेंगू मच्छर का लार्वा पाया। तीन घरों को नोटिस जारी किया गया। टीम ने 75 स्थान पर दवा का छिड़काव किया। लोगों को जागरूक करने के लिए चार स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए।
जिला सर्विलांस अधिकारी ने बताया कि इस बार पहली श्रेणी यानि कि एनएस1 के डेंगू मरीज मिल रहे हैं। इसमें मरीज को बुखार, सिर दर्द, कमजोरी महसूस होती है, लेकिन उसके प्लेटलेट्स कम नहीं होती हैं। ऐसे मरीजों को सामान्य दवाओं और खानपान में बदलाव से आराम मिल जाता है। दूसरी श्रेणी यानि आईजीएम के मरीजों में एनाफ्लीज का संक्रमण अधिक हो जाता है, इसमें डेंगू की गंभीरता बढ़ जाती है। प्लेटलेट्स कम होती हैं, लेकिन दवाओं और खानपान में बदलाव के जरिये उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। इस तरह के सिर्फ 10 फीसदी मरीजों की पुष्टि हो रही है। आईजीजीएम यानि कि सबसे गंभीर प्रकृति के डेंगू मरीजों की संख्या कम है। इसमें प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं। मरीज के अंगों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। इस तरह का सिर्फ एक मरीज मिला था।