मेरठ। छह लोगों ने खुद को सरकारी शिक्षक बताते हुए फर्जी दस्तावेज लगाकर एचडीएफसी बैंक में लोन के लिए आवेदन कर दिया। तीन लोगों को 1.99 करोड़ का लोन दे भी दिया गया। बाद में दस्तावेज फर्जी पाए जाने पर तीन लोगों की 2.31 करोड़ रुपये के लोन की फाइल रोक दी गई। बैंक के विवेचना प्रबंधक की ओर से मेडिकल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
तेजगढ़ी चौराहा स्थित एचडीएफसी बैंक के विवेचना प्रबंधक हिमांशु सेंगर ने रिपोर्ट में बताया कि उनके बैंक से छह लोगों ने प्लॉट और संपत्ति खरीदने के लिए लोन का आवेदन किया था। रामकुमार निवासी 100 फीट रोड आरबी डिग्री कॉलेज आगरा ने 64 लाख, राजेश कुमार ने 75 लाख और आगरा के सिकंदरा की विकास कॉलोनी निवासी लोकेंद्र सिंह चौहान ने 60 लाख रुपये के लिए आवेदन किया था। तीनों के लोन की धनराशि उनके खातों में ट्रांसफर कर दी गई।
इसके अलावा आगरा के राधा विहार दयालबाग निवासी धीरेंद्र सिंह ने 81 लाख, आगरा के कालिंदी विहार निवासी सनी कुमार ने 65 लाख और अतुल यादव ने 85 लाख रुपये का आवेदन किया था। इस दौरान बैंक को पता चला कि कोई गिरोह कई बैंकों से फर्जी लोन करा रहा है। तब तक रामकुमार, राजेश कुमार और लोकेंद्र के लोन हो चुका था। धीरेंद्र, सनी कुमार और अतुल यादव के दस्तावेज फर्जी पाए गए तो उनकी फाइल उन्होंने रोक दी गई। बैंक ने जांच की तो यह संपत्तियां दिए हुए पते पर नहीं मिली।