मेरठ। गडढा मुक्त सड़क का सपना देखने वाले शहरवासियों को सालों बाद सड़क मिली भी तो तीन माह के भीतर खस्ताहाल हो गईं। सड़क बनाने में इतनी घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया कि सड़कें उधड़ गईं और गड्ढे में तब्दील होने लगीं। 50 करोड़ खर्च करने के बाद भी निगम सड़कों की सूरत नहीं बदल सका। हाल ही में बनीं इन सड़कों को लेकर लोगों ने शिकायत करनी शुरू की तो नगर आयुक्त गुणवत्ता परखने निकले। पांडवनगर, सूरजकुंड और गंगानगर सहित कई सड़कों का सरफेस नगर आयुक्त को उधड़ा मिला।
इस पर भुगतान में कटौती और अवर अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी करने की बात कही गई। लेकिन घटिया सड़कों के मामले में न ही कोई कार्रवाई की गई, न ही ठेकेदारों का भुगतान रोकने की पहल।
सात महीने के गुणा-भाग के बाद नगर निगम ने टेंडर प्रक्रिया शुरू की। कई बार टेंडर प्रक्रिया ही अधर में लटक गई। तीन महीने पहले कई कोशिशों के बाद करीब 50 करोड़ की लागत से महानगर में सड़कें बनाने के टेंडर जारी किए गए। सड़कें बनीं तो तीन महीने में ही जिलाधिकारी आवास के सामने, पुलिस लाइन, सर्किट हाउस के पास, गंगानगर डिवाइडर रोड, गंगानगर मेन रोड, पांडवनगर, रक्षापुरम और सूरजकुंड सहित कई सड़कों का सरफेस खराब हो गया। उखड़ती सड़कों पर लोग फिसलकर गिरने लगे।
एक करोड़ चार लाख की लागत से बनी सूरजकुंड रोड फिर उखड़ने लगी है। लोग शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन कार्रवाई शून्य है। एक करोड़ 40 लाख की लागत से तैयार सड़क तीन महीने बीतने से पहले ही अपनी बदहाली का रोना रोने लगी।