Tuesday, April 22, 2025

मेरठ के मलियाना काण्ड में 39 आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी, 36 साल बाद न्याय मिलने पर आरोपी हुए खुश

मेरठ। 1987 में मलियाना कांड में 36 साल बाद कोर्ट ने 39 आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। आरोपितों में से 40 की मौत हो चुकी है। जबकि 14 आरोपितों को पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है। उम्र के आखिरी पड़ाव पर न्याय मिलने पर बरी हुए आरोपितों ने खुशी जाहिर की है। राजनीतिक दलों के नेताओं ने अदालत के फैसले का सम्मान करने की बात कही है।

मेरठ में 1987 में हाशिमपुरा और मलियाना कांड सामने आया था। टीपी नगर थाना क्षेत्र के मलियाना स्थित मोहल्ला शेखान में जमकर दंगे हुए थे। इस मामले में 68 लोगों की जान चली गई थी। दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने मेरठ का दौरा करके लोगों को न्याय दिलाने की बात कही थी। इस मामले में टीपी नगर थाने में 93 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

मलियाना कांड की सुनवाई एडीजे-6 लखविंदर सूद की कोर्ट में चल रही थी। कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सभी 39 आरोपितों को बरी कर दिया। आरोपितों के अधिवक्ता सीएल बंसल के मुताबिक, पुलिस ने मतदाता सूची सामने रखकर नरसंहार में लोगों को आरोपित बना दिया था। जबकि उनका कोई कसूर नहीं था। ये लोग बेगुनाह होने के बाद भी 36 साल से मुकदमें का दंश झेल रहे थे। मुकदमें के दौरान ही 40 आरोपितों की मौत हो गई। जबकि 14 को पहले ही क्लीन चिट मिल गई थी।

बरी हुए आरोपितों ने जताई खुशी

कोर्ट से बरी होने वाले आरोपितों में कैलाश भारती, विजेंद्र, लखमी, सतीश, केंद्र प्रकाश, राकेश, नरेश कुमार, पूरन, ओमप्रकाश, कालीचरण, सुनील, प्रदीप, धर्मपाल, विक्रम, तिलकराम, ताराचंद, दयाचंद, प्रकाश, रामजीलाल, गरीबदास, भिखारी, संतराम, महेंद्र, वीर सिंह, राकेश, जीते, कुन्नू, शशि, नरेंद्र, क्रांति, त्रिलोक चंद्र, ओमप्रकाश, कन्हैया, अशोक, रूपचंद शामिल है। 36 साल से मुकदमे का दंश झेल रहे आरोपितों ने बरी होने पर खुशी जाहिर की।

यह भी पढ़ें :  सुबह 10 बजे से जनता की समस्याओं को सुनें अधिकारी, लापरवाही क्षम्य नहीं: मुख्यमंत्री

बुढ़ापे की दहलीज पर खड़े लोगों का कहना है कि इंसाफ मिलने के इंतजार में पूरी जिंदगी गुजर गई। अब इंसाफ मिलने से परिवारों ने भी राहत की सांस ली है। वह अदालत के न्याय से पूरी तरह से संतुष्ट हैं। बरी हुए आरोपित राकेश कहते हैं कि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इतना पता चला था कि मस्जिद से हुए पथराव ने हिंसा का रूप ले लिया था। हमारा दंगे से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। इसके बाद भी हमें मुकदमे में नामजद करा दिया गया। क्रांति प्रसाद का कहना है कि हम बेगुनाह रहते हुए 36 साल की सजा काट चुके हैं। अदालत में तारीखों पर जाते-जाते थक चुके थे। अदालत के फैसले का स्वागत है।

भाजपा के महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल का कहना है कि वर्ग विशेष को खुश करने के लिए फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए। केंद्र और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार में राजनीतिक दबाव में पुलिस ने जबरन मुकदमे किए थे। कोर्ट में दूध और पानी की तरह सब साफ हो गया। यह न्याय की जीत है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष अवनीश काजला का कहना है कि कोर्ट के निर्णय पर पूरा विश्वास है। उससे सहमत है। सपा के मेरठ शहर विधायक रफीक अंसारी का कहना है कि यह सवाल अभी भी खड़ा है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों की हत्या किसने की।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

76,719FansLike
5,532FollowersFollow
150,089SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय