मुजफ्फरनगर। रमजान का महीना मुस्लिमों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। वहीं रमजान का चांद नजर आते ही मुस्लिम समाज के लोग इबादत में जुट गए। रमजान मुबारक की शुरुआत जुम्मे के पहले रोजे से हुई है। पहले रोजे पर मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा करने को भारी भीड़ उमड़ी।
मुस्लिम समाज के लोगों ने शहरी खा कर रोजा रखा, लेकिन सहरी खाना भी सवाब है। जो लोग शायरी खाकर रोजा रखते हैं उन्हें दोगुना सवाब अता होता है। ग्वार को रमजान का पहला जुम्मा है। मुस्लिम समाज के लोग जुमा की तैयारी में जुटे हैं। बारिश का मौसम होने से रोजेदारों की मुश्किल भी आसान हो रही है।
इस्लामी हिजरी कैलेंडर का नौंवा महीना रमजान कहलाता है। इस पाक और मुकद्दस महीने की खास इबादत रोजा है। इस पूरे महीने तीस दिन तक यदि कोई बुराई को छोड़ दे, तो समझा जाता है कि वह बुराई से हमेशा दूर हो गया। तीस दिनों के रोजों की इबादत इंसान के नफ्स का पाक यानी उसके अंतर्मन को पवित्र कर देती है।
उन्होंने बताया कि रोजे का मतलब होता है सोम, यानी बुरे काम से बचना। उन्होंने फरमाया कि जुमे का दिन बाजात दो रकअत नमाज के लिए है। इस दिन रोजे की इबादत और नमाज इंसान के ईमान के लिए खास है। उन्होंने फरमाया कि अल्लाह ने हुक्म दिया है कि ऐ ईमान वालों रोजे तुम्हारे लिये फर्ज कर दिए गए हैं। जैसे तुमसे पहले लोगों पर फर्ज किए गए थे। शायद तुम अल्लाह से डरने वाले बन जाओ।