वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र काशी से समूचे विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले सरकारी योजनाएं गिने चुने लोगों तक ही पहुंचती थीं लेकिन जब से देश और प्रदेश में भाजपा की सरकारें आई हैं, कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सभी को मिल रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने हरहुआ वाजिदपुर में आयोजित जनसभा में वाराणसी सहित पूरे पूर्वांचल के लिए 12,110 करोड़ रुपये की 29 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने पूर्व की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि भ्रष्ट और नाकाम सरकार चलाने वाले लोग आज जब लाभार्थी नाम सुनते हैं तो बिलबिला जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के इतने साल बाद लोकतंत्र का लाभ अब सही मायने में, सही लोगों तक पहुंचा है। पहले लोकतंत्र के नाम पर गिने-चुने लोगों के हित साधे जाते थे, गरीबों की कोई पूछ नहीं थी। भाजपा सरकार में लाभार्थी वर्ग सच्चे सामाजिक न्याय और सच्चे सेक्युलरिज्म का उदाहरण बन गया है। जिन लोगों ने देश पर दशकों तक राज किया, उनके शासन के मूल में भी बेइमानी रही है। जब ऐसा होता है तो चाहे कितना भी धन इकट्ठा हो तो कम ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि सही मायने में लोकतंत्र का असल मतलब अब भाजपा सरकार में ही समझ में आ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले बैंक तक पहुंच अमीरों की होती थी। माना जाता था कि पैसा नहीं है तो बैंक खाते की क्या जरूरत है। बीते 9 साल में इस सोच को भी भाजपा सरकार ने बदल दिया है। हमने बैंकों के दरवाजे सबके लिए खोल दिये हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले 09 सालों में केन्द्र सरकार के कार्यों का उल्लेखकर कहा कि सरकार बदली है नियत बदली है तो परिणाम भी बदले दिख रहे हैं। पहले करप्शन और कालाबाजारी से अखबार भरे रहते हैं। अब शिलान्यास और लोकार्पण की खबरें अखबारों में छाई रहती है। जब नीयत साफ होती है तो कैसे काम होता है इसका उदाहरण देता हूं। पहली बार देश में 50 साल पहले राजधानी एक्सप्रेस की शुरुआत हुई थी। लेकिन इतने साल में भी ये राजधानी एक्सप्रेस 16 रूटों में ही चल पाई है। इसी तरह 30-35 साल पहले शताब्दी एक्सप्रेस भी चली थी। ये ट्रेन भी 19 रूटों पर ही अब तक सेवा दे पाई है। इन ट्रेनों से अलग वंदे भारत एक्सप्रेस है और बनारस के पास देश की पहले वंदेभारत का खिताब है। ये ट्रेन 4 साल में 25 रूटों पर चलनी शुरू हो गई है। आज भी दो ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई है।
प्रधानमंत्री ने काशी के विकास का जिक्र करते हुए कहा कि काशी की कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। रोजगार के नये अवसर बन रहे हैं। पिछले साल 7 करोड़ से अधिक पर्यटक काशी आए। पर्यटक 12 गुना बढ़े तो इसका सीधा लाभ रिक्शा वालों, ढाबा होटल संचालकों, दुकानदारों, पान वाले, साड़ी कारोबारी, नाव चलाने वाले साथियों को हुआ। गंगा आरती के वक्त नाव पर कितनी भीड़ होती है, ये देखकर मैं भी हैरत में पड़ जाता हूं। बाबा के आशीर्वाद से काशी की विकास यात्रा ऐसे ही चलनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे अब चिंता नहीं होती कि इतने सारे लोग आएंगे तो बनारस में सब कैसे मैनेज होगा। काशी के लोग मुझे सिखा देते हैं, मैं उनको कुछ सिखा नहीं सखता। जी-20 में दुनियाभर के लोगों का इतना अच्छा आदर और स्वागत काशीवालों ने किया कि आज पूरी दुनिया में काशी की वाहवाही हो रही है। काशी के लोग सब संभाल लेते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब गरीबों के लिए योजनाएं एसी कमरों में बैठकर बनाई जाती थी, योजनाएं काम कर रही हैं या नहीं इसका कोई खबर लेने वाला नहीं था। गरीब को कोई पूछने वाला नहीं था। गरीबों, दलितों और पिछड़ों को केवल अपमान और प्रताड़ना के अलावा कुछ भी नहीं मिलता था। मगर एक गरीब मां के बेटे मोदी ने गरीबों का अपमान कभी नहीं सहा। एक समय था जब गरीबों के लिए योजनाएं एसी कमरों में बैठकर बनाई जाती थी, योजनाएं काम कर रही हैं या नहीं इसका कोई खबर लेने वाला नहीं था। गरीब को कोई पूछने वाला नहीं था। गरीबों, दलितों और पिछड़ों को केवल अपमान और प्रताड़ना के अलावा कुछ भी नहीं मिलता था। मगर एक गरीब मां के बेटे मोदी ने गरीबों का अपमान कभी नहीं सहा।
पीएम मोदी ने कहा कि गरीब का स्वाभिमान भाजपा सरकार की गारंटी है। उन्होंने कहा कि आज काशी सहित उत्तर प्रदेश को लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उपहार मिला है। हमने जो काशी की आत्मा को बनाए रखते हुए नूतन काया का संकल्प लिया है, यह उसका विस्तार है। इनमें रेल, रोड, पानी, शिक्षा, पर्यटन से जुड़े प्रोजेक्ट्स हैं। घाटों से जुड़े प्रोजेक्ट्स हैं। नरेन्द्र मोदी ने अपना संबोधन भारत माता की जय, हर-हर महादेव और माता अन्नपूर्णा के जयकारे के साथ शुरू किया। उन्होंने कहा कि सावन की शुरुआत हो, बाबा विश्वनाथ व मां गंगा का आशीर्वाद हो और बनारस का साथ हो तो जीवन धन्य हो जाता है। जे काशी आई उ अब खाली हाथ ना जाई।