Sunday, February 23, 2025

वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री का राजस्व 8-10 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री का राजस्व 8-10 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 में परिचालन मार्जिन सीमित दायरे में 11-12 प्रतिशत के आसपास रहेगा। इसके पीछे एक प्रमुख वजह ऑपरेटिंग लिवरेज, प्रति वाहन ज्यादा कंटेंट और वैल्यू एडिशन है। हालांकि, उसने कहा है कि कमोडिटी की कीमतों और विदेशी मुद्रा दरों में किसी भी बड़े प्रतिकूल बदलाव की स्थिति में इस पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है। लाल सागर मार्ग पर व्यवधान के परिणामस्वरूप कैलेंडर वर्ष 2023 की तुलना में साल 2024 में समुद्री माल ढुलाई दरों में दो-तीन गुना वृद्धि हुई है।

समुद्री माल ढुलाई दरों में यदि और तेज तथा निरंतर वृद्धि से उन ऑटो कंपोनेंट सप्लायरों पर भी काफी प्रभाव पड़ेगा जिनका आयात या निर्यात अधिक है। आईसीआरए का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री क्षमता विस्तार, स्थानीयकरण/क्षमता विकास और तकनीकी उन्नति (जिसमें ईवी भी शामिल है) के लिए 25-30 हजार करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय करना होगा। वर्तमान में, ईवी सप्लाई चेन का केवल 30-40 प्रतिशत स्थानीयकृत है। पिछले कुछ वर्षों में ट्रैक्शन मोटर्स, कंट्रोल यूनिट और बैटरी प्रबंधन प्रणालियों में पर्याप्त स्थानीयकरण हुआ है, जबकि बैटरी सेल, जो वाहन लागत का 35-40 प्रतिशत हिस्सा हैं, अभी भी पूरी तरह से आयात पर निर्भर हैं। अपेक्षाकृत कम स्थानीयकरण स्तर का मतलब है घरेलू ऑटो कंपोनेंट सप्लायर्स के लिए विनिर्माण अवसरों की भरमार।

आईसीआरए लिमिटेड की उपाध्यक्ष और सेक्टर हेड-कॉर्पोरेट रेटिंग्स, विनुता एस. ने कहा, “घरेलू ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री एक परिवर्तन के दौर में है, जिसमें ऑटोमोटिव प्लेयर्स का ध्यान सस्टेनेबिलिटी, इनोवेशन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर बना हुआ है।” घरेलू ओईएम की मांग, जो उद्योग के राजस्व का आधे से अधिक हिस्सा है, वित्त वर्ष 2024-25 में 7-9 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में 8-10 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ (ईयू) में प्लांट के बंद होने के कारण मेटल कास्टिंग और फोर्जिंग में भारतीय कंपनियों के लिए अवसर होंगे। इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़े अवसर, वाहनों का प्रीमियमीकरण, स्थानीयकरण पर ध्यान केंद्रित करना और नियामक मानदंडों में बदलाव ऐसे कारक हैं जो मध्यम से लंबी अवधि में ऑटो कंपोनेंट सप्लायर्स के लिए विकास में मददगार होंगे।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय