नई दिल्ली। वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका बढ़ने वाली है, क्योंकि अगले दशक में देश का व्यापार 6.4 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा। यह जानकारी सोमवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की रिपोर्ट में कहा गया कि यूएस और चीन में बढ़ते तनाव के कारण प्रोडक्शन शिफ्ट का फायदा आसियान रीजन विशेषकर भारत को मिलेगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि हमारा अनुमान है कि 2033 तक भारत का कुल व्यापार 6.4 प्रतिशत सीएजीआर के साथ बढ़कर सालाना 1.8 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा, जो मोटे तौर पर इसकी उच्च जीडीपी वृद्धि के अनुरूप है।
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रिपोर्ट में बताया गया कि जैसे-जैसे दुनिया तेजी से लचीली और विविधतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं की ओर बढ़ रही है, भारत की ‘चीन+1’ रणनीति, जो इसके बड़े घरेलू बाजार, कुशल कार्यबल और दूरदर्शी नीतियों द्वारा समर्थित है। इसे एक पसंदीदा वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करती है। बीसीजी इंडिया के प्रबंध निदेशक पार्टनर निशांत गुप्ता ने कहा, “अमेरिका, यूरोपीय संघ और अफ्रीका और आसियान जैसे उभरते क्षेत्रों के साथ साझेदारी को मजबूत करना, भारत के लिए इस गति को भुनाने और वैश्विक व्यापार में समावेशी, टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा।” बीसीजी के सेंटर फॉर जियोपॉलिटिक्स के विश्लेषण में अनुमान लगाया गया है कि 2033 तक वैश्विक व्यापार 29 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच जाएगा, लेकिन वस्तुओं के आवागमन के मार्ग तेज गति से बदल रहे हैं।
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वैश्विक व्यापार में लगभग 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले ग्लोबल साउथ में आने वाले दशक में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। बीसीजी की प्रबंध निदेशक और पार्टनर, अपर्णा भारद्वाज ने कहा, “व्यापारिक मार्ग पहले से ही ऐतिहासिक पैटर्न से हट रहे थे और आने वाले अमेरिकी टैरिफ इसमें और तेजी लाएंगे। इन नई गतिशीलताओं को समझना किसी भी वैश्विक व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण होगा।”