मेरठ। एकीकृत बागवानी विकास मिशन परियोजना के अंतर्गत चौसा आम के बाग में उकठा रोग प्रबंधन विषय पर गोष्ठी का आयोजन केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमान खेड़ा, लखनऊ के निदेशक डॉ. टी दामोदरन की अध्यक्षता में हुआ।
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डॉ. दामोदरन ने कहा कि आम के पेड़ों के सूखने की समस्या बढ़ती जा रही है। इसके समाधान के लिए किसानों को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि परियोजना से सिवाल खास फल पट्टी क्षेत्र की इस समस्या का समाधान अवश्य होगा। डॉ. दामोदरन ने बताया कि रसायनों के अधिक प्रयोग के कारण मृदा की उर्वरता घट गई है। रसायनों के संतुलित प्रयोग के साथ जैविक खाद, जैव नियामकों और संस्तुत रोग एवं कीट नाशियों का प्रयोग ही करना चाहिए।
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विशिष्ट अतिथि वीरेंद्र सिंह ने क्षेत्र में आम की समस्याओं और की जा रही बागवानी क्रियाओं के गुण-दोषों पर विस्तार से चर्चा की। संस्थान के रोग वैज्ञानिक डॉ. प्रभात कुमार शुक्ल ने आम के उकठा रोग उत्पन्न करने वाली फफूंदी के विषय में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसानों द्वारा की जा रही बागवानी क्रियाएं जैसे अधिक जुताई और गुड़ाई से जड़ों को हानि, एकांतरण फलन से बचने के लिए पैकलोब्यूट्राजॉल का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग और पोषक तत्वों की कम आपूर्ति आदि कारक इस रोग को बढ़ावा दे रहे हैं।
डॉ. सुशील कुमार शुक्ल ने भी गोष्ठी में विचार रखे। बागवान सतेंद्र कुमार, मनोज चौधरी, यतेंद्र सिंह, विशाल चिकारा, विक्रम सिंह आदि ने बागवनी में आने वाली समस्या के बारे में जानकारी ली।