अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो लगभग सभी ने देखा होगा जिसमें बॉलीवुड एवं हिंदी फिल्मों के एक वरिष्ठ अभिनेता एक लड़के को थप्पड़ मारते नजर आ रहे हैं । वह लड़का उस एक्टर के साथ तस्वीर या सेल्फी लेना चाहता था। बाद में उक्त अभिनेता ने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी और कहा कि उसने उस लड़के को कलाकार समझकर थप्पड़ मारी है क्योंकि शूटिंग में ऐसा ही कुछ सीन था।
ये सफाई एक झूठ से अधिक नहीं लगती। विषय इतना ही नहीं है कि नेता, अभिनेता, खिलाड़ी, कलाकार जब प्रसिद्ध हो जाते हैं (अंग्रेजी में सेलेब्रिटी) तो उनमें घमंड आ जाता है। उन्हें उनके पैर धरती से ऊपर उठे हुए महसूस होते हैं और जिन चाहने वाले, प्रशंसकों, समर्थकों के कारण उक्त लोग प्रसिद्ध हुए हैं, उनकी ही अवहेलना करने लगते हैं और उन्हें तुच्छ समझने लगते हैं।
विषय ये है कि ये प्रशंसक लोग आखिर प्रशंसक क्यों है और जिन प्रसिद्ध लोगों के फैन हैं उनके साथ ली गई सेल्फी या ऑटोग्राफ का क्या करेंगे? जाहिर है कि प्रसिद्ध लोगों के साथ खींचा गया चित्र या सेल्फी दूसरों लोगों, दोस्तों, रिश्तेदारों को दिखाया जाएगा और गौरवान्वित अनुभव किया जाएगा पर प्रश्न अब भी बाकी है कि कोई व्यक्ति किसी का प्रशंसक क्यों बनता है? किसी का खेल देखकर, किसी का अभिनय देखकर, किसी की कला देखकर, किसी का संगीत सुनकर या किसी का भाषण सुनकर। है न? खेल, संगीत, लेखन, नृत्य, कला, सौंदर्य आदि सब प्रतिभा के क्षेत्र हैं।
अंग्रेजी में जिसे गॉड-गिफ्ट बोला जाता है। ईश्वर प्रदत गुण। ये भी सच है कि प्रतिभा पाया गया व्यक्ति स्वयं भी मेहनत करता है और अपनी प्रतिभा का विकास करता है। अपने रुचि के क्षेत्र जैसे खेल या फिल्म आदि में स्थापित होने का प्रयास करता है और उपलब्धि हासिल करके धन, यश आदि पा लेता है।
व्यक्ति और उसकी प्रतिभा ये दोनों संकल्पनायें या विचार तो स्पष्ट हैं लेकिन इन दोनों के बीच भी एक अहम प्रकरण हैं जिसे प्रशंसक भूल जाते हैं । मनोविज्ञान की किताबों में व्यक्तित्व की सैकड़ों परिभाषाऐं दी गई हैं जिसमें सामाजिकता, उत्साह, आत्मचेतना, समायोजन, व्यवहार का तरीका, दृष्टिकोण आदि विशेषताएं व्यक्तित्व का ही हिस्सा मानी गई हैं।
व्यक्तित्व का सबसे जरूरी भाग है स्वभाव। जैसे आम लोगों में से कोई शर्मीला है, कोई हठी, कोई चिड़चिड़ा, कोई घमंडी, कोई चुपचाप रहने वाला, कोई वाचाल, कोई ईर्ष्यालु, कोई गंभीर, कोई चुगलखोर, कोई गुस्सा करने वाला, कोई सहनशील, कोई एकांतप्रिय, कोई मिलनसार, कोई सरल स्वभाव का, कोई धूर्त, कोई डरपोक, कोई गप्पी। ठीक ऐसे ही, जो महान लोग हैं या प्रतिभावान लोग हैं, उनका भी एक निजी व्यक्तित्व और अलग स्वभाव भी है।
अच्छी प्रतिभा होने का अर्थ अच्छा व्यक्तित्व हो, ये जरूरी नहीं। कोई महान क्रिकेटर है तो जरूरी नहीं कि वो अच्छा पति भी हो। कोई महान गायक है तो जरूरी नहीं कि वो अच्छा पिता भी हो। कोई महान कलाकार है तो जरूरी नहीं कि वो अच्छा प्रेमी भी ही। प्रतिभा और गुण, ठप्पा नहीं है श्रेष्ठ व्यक्तित्व होने का।
एक टीवी कार्यक्रम में मैंने देखा कि एक प्रसिद्ध गायक को देखकर एक लड़की (जो फैन थी) अभिभूत हो गई, गायक के पास आ गई और अपनी भावनाएं व्यक्त करने लगी। खेल-प्रशंसक कई बार मैदान में घुस जाते हैं और अपने पसंदीदा खिलाड़ी को गले लगा लेते हैं या पैर छूने लगते हैं, खिलाड़ी के नाम का टैटू बनवा लेते हैं। पुराने जमाने में प्रशंसकों के द्वारा अभिनेताओं या अभिनेत्रियों को खत लिखने का प्रचलन था। आज के युग में सोशल मीडिया में अपनी पसंद के नेता, अभिनेता या कलाकार को फॉलो करने का फैशन है। अधिकतर ऐसे फैन युवा-वर्ग के ही होते हैं।
फैन लोगों में जो लड़कियां हैं, वे ऐसे सेलेब्रिटी को पसंद करती हैं जो सुंदर या आकर्षक है। युवा-वर्ग फैन इसलिए बनता है क्योंकि वो अनुसरण करता है। युवक धन और यश प्राप्त करना चाहते हैं और किसी प्रसिद्ध या सफल व्यक्ति को देखकर उन्हें खुशी होती है कि काश हम भी ऐसे होते, या हम भी ऐसे बनेंगे। युवतियां किसी प्रसिद्ध और उसमें में किसी आकर्षक सेलेब्रिटी को देखकर अपने पति की कल्पना करती हैं कि काश मेरा जीवनसाथी भी ऐसा हो या ये ही हो।
पर जो प्रसिद्ध लोग हैं, सेलिब्रिटी हैं, कलाकार, अभिनेता, क्रिकेटर हैं, उनमें से कई लोगों का दाम्पत्य जीवन सफल नहीं रहा। कई अपने निजी रिश्ते निभाने में असफल हुए। कुछेक प्रसिद्ध लोगों ने आत्महत्या कर ली।
पर जो प्रसिद्ध लोग हैं, सेलिब्रिटी हैं, कलाकार, अभिनेता, क्रिकेटर हैं, उनमें से कई लोगों का दाम्पत्य जीवन सफल नहीं रहा। कई अपने निजी रिश्ते निभाने में असफल हुए। कुछेक प्रसिद्ध लोगों ने आत्महत्या कर ली।
दूसरों को थप्पड़ मारने या नौकरों का शोषण करने, ड्रग्स सेवन करने, टैक्स चोरी करने, साथियों या सहायकों से बदतमीजी करने, अनुशासनहीन जीवन जीने, रीढ़हीन होकर सामाजिक मुद्दों से बचने, चरित्रहीन होने आदि के हजारों उदाहरण है जो सिद्ध करते हैं कि व्यक्ति अलग होता है और व्यक्तित्व अलग होता है। महानता, प्रतिभा के आधार पर होती है लेकिन उसी नामवर इंसान का एक निजी स्वभाव भी होता है। प्रशंसक को ये समझना पड़ेगा कि वो किसका प्रशंसक है? फैन को सोचना पड़ेगा कि वो किसका फैन है? प्रशंसा या सराहना, व्यक्ति की नहीं बल्कि उसके गुण या प्रतिभा की है। व्यक्ति और व्यक्तित्व में अंतर है।
कोई प्रतिभाशाली है तो ये ईश्वर की ही दी हुई नेमत है। कोई अपने गुणों से महान हो सकता है पर कोई भी व्यक्ति अपने गुणों या कला के आधार पर भगवान या साधु नहीं बन जायेगा लेकिन प्रशंसक या समर्थक आदि, सराहना और व्यक्ति-पूजा में अंतर भूल जाते हैं। प्रत्येक सेलेब्रिटी, प्रतिभाशाली व्यक्ति, महान व्यक्ति अपने गुणों, विशेषताओं से प्रसिद्ध है पर अपने स्वभाव, चरित्र, इच्छाओं और मनोभाव को लेकर एक सामान्य इंसान ही है।
किसी की कला की कद्र की जानी चाहिए लेकिन कला और कलाकार में भेद रखा जाना भी आवश्यक है और देखा जाए तो दुनिया में हरेक व्यक्ति गुणी है। सबमें अपनी अपनी प्रतिभा है। देश, काल, परिस्थिति के अनुसार प्रतिभा की परिभाषा बदल जाती है। जैसे किसी जमाने में साहित्यकार या कवि होना महत्व की बात थी, जबकि आज के जमाने में यूट्यूबर होना किसी को यशस्वी बना सकता है। शायद दुनिया ये बात भूलती जा रही है कि मशहूर होने से ज्यादा, अच्छा इंसान होना जरूरी है। दुनिया के साथ-साथ दुनिया की फिलॉसफी भी बदलती जा रही है। इसलिए अच्छा इंसान होना भी ईश्वर की नेमत है और यहीं सबसे बड़ी संपत्ति और गुण है।
-डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी
-डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी