Monday, March 31, 2025

जमात-ए-इस्लामी का विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच संबंध सुधारने पर जोर, इस चार वर्षीय योजना को दी मंजूरी

नई दिल्ली। जमात-ए-इस्लामी हिंद की मरकजी मजलिस-ए-शूरा (केंद्रीय सलाहकार परिषद) ने अपनी चार वर्षीय (2023-2027) योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच संबंधों को सुधारने को काफी महत्व दिया गया है। संवाद और चर्चा का माहौल बनाने और नफरत खत्म करने पर जोर दिया गया है। जमात के मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए जमात के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने यह जानकारी दी।

अमीर-ए-जमात ने बताया कि नई चार वर्षीय योजना में देश के जनमानस में सकारात्मक परिवर्तन लाने को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। इसमें कहा गया है कि इस्लाम और इस्लामी शिक्षाओं के बारे में गलतफहमियों को दूर किया जाएगा। इस्लाम की शिक्षाओं की मुख्य विशेषताएं यह हैं कि वह किसी विशेष संप्रदाय या समुदाय के लिए नहीं हैं, बल्कि सभी मनुष्यों की भलाई, उनके सांसारिक कल्याण, भविष्य में उनके उद्धार और सभी को न्याय और निष्पक्षता प्रदान करने के लिए हैं। जमात इसे हमारे देश के लोगों के सामने रखना चाहती है।

सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि जमात की चार वर्षीय योजना में देश के विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच संबंधों को सुधारने को काफी महत्व दिया गया है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के साथ-साथ राज्यों और इकाइयों के स्तर पर विभिन्न गतिविधियां और अभियान चलाए जाएंगे। विभिन्न स्तरों पर संवाद और चर्चा के लिए मंचों को बढ़ावा दिया जाएगा। बुद्धिजीवियों, धार्मिक नेताओं, आम लोगों, नागरिक समाज, युवाओं और महिलाओं के बीच मंच तैयार किया जाएगा, जिसके माध्यम से विभिन्न धार्मिक समूहों को एक-दूसरे के करीब लाया जाएगा। सभी के लिए कल्याण और न्याय प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का माहौल तैयार किया जाएगा।

जमात ने यह भी तय किया है कि देश में पाई जाने वाली आम बुराइयों जैसे जातिवाद, कट्टरता, लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों का हनन, भ्रूणहत्या, दहेज, नशा, भ्रष्टाचार आदि के खिलाफ नियमित अभियान चलाया जाएगा। पर्यावरण संकट के संबंध में इस्लामी दृष्टिकोण को स्पष्ट किया जाएगा और पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए विभिन्न शहरों में विभिन्न प्रकार के विशेष उपाय किए जाएंगे।

जमात के उपर्युक्त कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के भीतर सुधारों को भी विशेष महत्व दिया गया है। समाज को जागरूक किया जाएगा। उन्हें इस्लाम का पालन करने और इस्लाम का प्रतीक बनने के लिए राजी करने का प्रयास किया जाएगा। इस्लाम के उन पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जिन पर सुधारवादी आंदोलनों ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। उदाहरण के तौर पर शादी-ब्याह को आसान बनाने, दहेज की प्रथा को समाप्त करने, महिलाओं को विरासत में हिस्सा देने, महिलाओं के अधिकारों का भुगतान करने, व्यापार और वित्तीय मामलों में ईमानदारी लागू करने, साफ-सफाई का पालन करने और अच्छा व्यवहार करने के लिए लोगों को जागरूक करना शामिल है। गैर-मुस्लिम पड़ोसियों का ध्यान रखा चाहिए।

जमात ने तय किया है कि शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। शिक्षा प्रणाली समावेशी और एक विशेष संस्कृति के प्रभुत्व से मुक्त होनी चाहिए। शिक्षा प्रणाली नैतिक मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए और शिक्षा सामान्य और सभी नागरिकों के लिए आसानी से सुलभ होनी चाहिए। शिक्षा को लेकर जमात की यह तीन प्रमुख प्राथमिकताएं हैं। इन उद्देश्यों के लिए जमात सरकार का ध्यान आकर्षित करने का निरंतर प्रयास करेगी। जमात की विभिन्न शाखाएं भी इन प्राथमिकताओं पर काम करने की पूरी कोशिश करेंगी। जमात मुसलमानों और अन्य पिछड़े समूहों के बीच शिक्षितों के अनुपात को बढ़ाने की कोशिश करेगी। इसके साथ जमात ने निर्णय लिया है कि साक्षरता दर और सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में वृद्धि हो, इसके लिए शैक्षिक समस्याओं का समाधान किया जाएगा। देश के विभिन्न क्षेत्रों में नए शिक्षण संस्थानों की स्थापना भी इस योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

नई योजना का एक महत्वपूर्ण घटक मुस्लिम समुदाय और अन्य पिछड़े समूहों का आर्थिक सशक्तिकरण और विभिन्न क्षेत्रों में सुधार भी है। योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा माइक्रोफाइनेंस को एक आंदोलन के रूप में संस्थागत बनाने और गरीबों को आर्थिक रूप से मदद करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करने के लिए प्रयास करना है।

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