Monday, November 4, 2024

मुज़फ्फरनगर में निस्वार्थ भाव से गौवंश की सेवा कर रही है जैसमीन मलिक, 28 गौवंश का किया जा रहा है पालन-पोषण

मुजफ्फरनगर। देश की महिला शक्ति एक ओर जहां देश सेवा में छाप छोड़ रही है, वहीं दूसरी ओर समाज सेवा करने से भी महिला शक्ति पीछे नहीं हट रही है, जिसका जीता जागता उदाहरण मुजफ्फरनगर के मौहल्ला प्रेमपुरी निवासी जैसमीन मलिक है।

जैसमीन मलिक द्वारा 12 सितंबर 2020 से गौ सेवा शुरू की गई थी, जो आज तक अपने निजी खर्च से ही संचालित की जा रही है।  रॉयल बुलेटिन से हुई खास बातचीत में गौ सेवा कर रही जैसमीन मलिक ने बताया कि तीन वर्ष पूर्व उनके द्वारा एक दृश्य देखा गया था, जो दृश्य वास्तव में दिल को दहला देने वाला था। उस दृश्य को देखने के बाद जैसमीन ने अपने मन में गौ सेवा करने की ठान ली।

इस दृश्य के बारे में जैसमीन ने बताया कि एक बछड़ा जो कि गंभीर रूप से घायल था, वह बछड़ा घायल अवस्था में गंदे नाले के अंदर पड़ा हुआ था और दर्द से कराहते हुए उपचार के लिए आस लगाए इधर-उधर घूम रहें लोगों को देख रहा था, जिसके बाद जैसमीन ने उस बछड़े को गंदे नाले से निकालकर उपचार कराया एवं अपने घर ले जाकर उसका पालन पोषण एक बच्चे की तरह किया, तब से दिल और दिमाग में गौ सेवा करने की इच्छा उत्पन्न हो गई और एक के बाद एक बछडा गौशाला में इकट्ठे  होते गए। आज आलम यह है कि जैसमीन द्वारा अपने निजी खर्च से दो गौशाला किराये पर मकान लेकर संचालित की जा रही हैं।

दोनों गौशालाओं में गौवंशो की संख्या 28 है। जैसमीन ने बताया कि वह एक अकाउंटेंट की नौकरी करती है, अपनी मासिक आय का पूरा रुपया गौशाला में मौजूद गौवंशो की खातिरदारी में खर्च करती है। उन्होंने बताया कि गौशाला में मौजूद सभी गोवंशों का खाने-पीने का खर्च करीब 15 सौ रुपए से लेकर 16 सौ रुपए तक आता है। इस गौ सेवा में कुछ मित्र ऐसे हैं, जो गौ सेवा करने में इच्छा रखते हैं, जिनके द्वारा गोवंशों के खर्च के लिए सहायता प्रदान की जाती है।

उन्होंने बताया कि गौशाला में मौजूद गौवंशों की यदि तबीयत खराब हो जाती है या दुर्भाग्यवश कोई गौवंश स्वर्ग सिधार जाता है, तो उसके अंतिम संस्कार का खर्च भी खुद ही करती है। सबसे बडी बात यह है कि जैसमीन मलिक ने 5800 रुपए प्रति माह के किराए पर दो मकान ले रखे हैं, जिनमें गौवंश को पाला जा रहा है और इस किराये का भुगतान वह अपने वेतन से कटौती करके करती हैं।

आज एक महिला शक्ति द्वारा निस्वार्थ भाव से गौसेवा की जा रही है, मगर कुछ स्वार्थी लोगों को यह गौ सेवा हजम नहीं हो रही है, उनके द्वारा गौ सेवा कर रही जैसमीन का हौसला अफजाई करने के बजाए उसके इरादों को तोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। गौशाला के आसपास रह रहे लोगों द्वारा आए दिन विरोध करते हुए झगड़ा किया जाता है। झगड़ा सिर्फ इस बात का है कि गौशाला में पल रहे बछड़े एवं गाय सड़क पर गोबर करते हैं, मगर गौ सेवा कर रही महिला शक्ति जैसमीन मलिक द्वारा पानी से धोकर सफाई की जाती है, बावजूद इसके पड़ोसियों को जैसमीन मलिक द्वारा गाय की सेवा करना पच नहीं रहा है।

जैसमीन का कहना है कि गत 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व सभी हिंदू धर्म में धूमधाम से मनाया गया है। उनका कहना है कि जिन लोगों द्वारा गौशाला में पल रहे बछड़े एवं गाय के गोबर करने से परहेज किया जा रहा था, वह महाशिवरात्रि के

पर्व पूजा-अर्चना करने के लिए शिव मंदिर के बाहर लंबी कतार में खड़े नजर आए। उनका कहना है कि शायद गौशाला के आसपास रह रहे लोगों को यह मालूम नहीं है कि नंदी शिव की सवारी है, जिसका वह आए दिन विरोध करते हैं और महाशिवरात्रि पर शिव को मनाने के लिए पूजा-अर्चना का पूरा सामान लेकर लंबी कतार में खड़े हो गए।

उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कहती कि पूजा-अर्चना करना गलत बात है, मगर सच्ची श्रद्धा एवं सच्ची भक्ति वह होती है, जो जिंदा इंसानों एवं जिंदा जानवरों की सेवा कर पुण्य कमाता है। मंदिरों में जाकर पत्थर की मूर्ति की पूजा कर भगवान से कुछ भी मांगना या उनसे किसी अच्छे वरदान की अपेक्षा करना गलत बात है। यदि लोगों द्वारा सच्चे मन से धरती पर जन्मे जीवों की सेवा की जाए, तो उनको धरती पर ही स्वर्ग मिल जाएगा।

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