नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे महाकुंभ में डुबकी लगा रहे श्रद्धालुओं पर दिए एक बयान को लेकर विवादों में आ गए हैं। खड़गे ने कहा था, “क्या गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर होगी।” असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस अध्यक्ष के बयान पर पलटवार करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “महाकुंभ पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान सनातन धर्म के खिलाफ गहरी चिंताजनक मानसिकता को दर्शाता है।
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मेरा मानना है कि यह राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक रुख है। लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं, 2001 में सोनिया गांधी ने खुद कुंभ के दौरान स्नान किया था। क्या वह यह कहने की हिम्मत करेंगे कि हज पर जाने से भूख और गरीबी जैसी समस्याएं हल नहीं होंगी? उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस से जुड़े सभी हिंदू नेताओं के लिए यह समय है कि वे आत्मचिंतन करें और अपना रुख तय करें। केवल सत्ता और पद के लिए अपने विश्वास, अपने धर्म या इस देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से समझौता न करें। कोई भी नेता, कोई भी विचारधारा और कोई भी पार्टी आपके धर्म और मान्यताओं से ऊपर नहीं होनी चाहिए।
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राजनीतिक स्वार्थ के लिए इसके सार को कमतर न आंकें। अपनी अंतरात्मा की आवाज पर चलें। उल्लेखनीय है कि महू की रैली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर होती है क्या? क्या आपको पेट में खाना मिलता है? मैं किसी की आस्था को कोई ठेस नहीं पहुंचाना चाहता। अगर किसी को दुःख हुआ तो मैं माफ़ी चाहता हूं। लेकिन आप बताइए कि जब बच्चा भूखा मर रहा है, बच्चा स्कूल में नहीं जा रहा है, मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही है। लेकिन, गंगा नदी में डुबकियां लगाई जा रही हैं।
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तब तक डुबकी लगाई जाती है जब तक टीवी पर अच्छा नहीं आ जाता, तब तक डुबकी मारते रहते हैं। ऐसे लोगों से देश की भलाई होने वाली नहीं है।” उन्होंने कहा कि हमारी आस्था भगवान में है। हर एक को आजादी है। आप रोज पूजा करिए। घर में हर आदमी और हर महिला पूजा करके बाहर निकलती है। हमें कोई एतराज नहीं है। हमें एतराज है गरीबों के शोषण का, जो धर्म के नाम पर हो रहा है, उसके खिलाफ हमें लड़ना है।