महाकुम्भ नगर। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में अखाड़े की परम्परा के साथ सोमवार को स्वामी श्री निवासन कार्तिकेयन नारायण केरल, स्वामी बालयोगी विन्यानंद गिरी का वैदिक मंत्रों के साथ पट्टाभिषेक कर महामंडलेश्वर बनाया गया।
निरंजनी अखाड़े की छावनी में मौजूद संत महापुरुषों ने पूण विधि विधान से तिलक चादर प्रदान करके दोनों महामंडलेश्वरों का अभिषेक किया। यह जानकारी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज ने दी।
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उन्होंने बताया कि आज दो संत—महंतों का पट्टा अभिषेक कर महामंडलेश्वर बनाया गया। पहले स्वामी श्री निवासन कार्तिकेयन नारायण (केरल), स्वामी बालयोगी विन्यानंद गिरि (प्रयागराज) कों महामंडलेश्वर के पद की उपाधि प्रदान की गई।
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उन्होंने कहा की अखाड़ा योग्य व्यक्ति को इस पद पर नियुक्ति देने के लिए अखाड़े के प्रमुख संतों और गुरुजनों की सहमति के बाद ही महामंडलेश्वर पद से सुशोभित किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह पद केवल उन संतों को दिया जाता है, जिनके पास गहरी धार्मिक शिक्षा, अनुभव और समाज के प्रति उनकी सेवा के प्रमाण होते हैं।
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निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशा नन्द गिरि ने कहा कि संतों का महत्व सनातन धर्म में बहुत बड़ा है। वे अपने जीवन के उदाहरण से, शिक्षाओं से और अपनी साधना से धर्म की रक्षा करते हैं। संत अपने अनुयायियों को सच्चाई, अहिंसा, प्रेम और धर्म की राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। वे समाज में धर्म की चेतना फैलाते हैं और बुराईयों से मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं। इस प्रकार, संत सनातन धर्म की मूल भावना को जीवित रखने और उसे संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने बताया कि जो भी संत महंत महामंडलेश्वर बनते हैं उनके ऊपर अनेक धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक जिम्मेदारियां होती हैं। यह कर्तव्य न केवल उनके व्यक्तिगत आचरण से जुड़े होते हैं, बल्कि समाज और संप्रदाय के प्रति उनके दायित्वों का भी हिस्सा होते हैं। उन्होंने कहा कि संत महापुरुषों की गरिमा उसके व्यवहार,आचरण, और उसकी वाणी से पता चलता हैं।
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श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के सचिव श्री महंत राम रतन गिरी महाराज ने कहा कि मनुष्य के कर्म ही उसे उसकी पहचान और महानता प्रदान करते हैं। अच्छे कर्म व्यक्ति को सम्मान, प्रतिष्ठा और आत्मिक संतोष दिलाते हैं, इसलिए, जीवन में हमेशा उत्तम और निष्कलंक कर्मों को अपनाना चाहिए, ताकि हम अपने उद्देश्य को पूरा कर सकें और समाज में सकारात्मक योगदान दे सकें। उन्होंने कहा कि आज नवनियुक्त महामंडलेश्वरों को हम साधुवाद देते हैं कि वह भी अपने कार्यक्षेत्र में सदैव उन्नति और सत्कर्म के मार्ग पर चलते हुए अध्यात्म का परचम लेहराते हुए सनातन धर्म कों आगे बढ़ाने मे शक्ति प्रदान करे।
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नव नियुक्त महामंडलेश्वर स्वामी श्री निवासन कार्तिकेयन नारायण (केरल), स्वामी बालयोगी विन्यानंद गिरि (प्रयागराज) ने कहा कि जो जिम्मेदारी मुझे संत महापुरुषों ने दी है उसका निर्वाह मे सच्ची निष्ठा से करूंगा। उन्होंने कहा कि सभी गुरुजन मेरे लिए परमात्मा का दूसरा रूप है। नवनियुक्त महामंडलेश्वर स्वामी स्वामी प्रज्ञा नन्द गिरी, दाहोद काछला ढंढेला, गुजरात एवं रामकृष्णानन्द गिरी, उज्जैन ने सभी संत महापुरुषों के चरण छूकर आशीर्वाद लिया।
इस अवसर पर अखाड़ा सचिव श्री महंत रामरतन गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानन्द पुरी (अर्जी वाले हनुमान जी, उज्जैन),श्री महंत शंकरा नन्द सरस्वती, स्वामी आत्मा नन्द, स्वामी हरिओम गिरी, महंत राकेश गिरी महामंडलेश्वर स्वामी ललिता नंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद गिरी, महामंडलेश्वर स्वामी आदियोगी पुरी,महामंडलेश्वर स्वामी जय गिरि, स्वामी हरिओम गिरी, स्वामी सोमेस्वरा नन्द गिरी, स्वामी विज्ञाना नन्द,महंत दिनेश गिरी, महंत राज गिरी, महंत राधे गिरी, महंत भूपेन्द्र गिरी, महंत नरेश गिरी,महंत ओमकार गिरी,डॉ आदियानन्द गिरी आदि के संग अनेक संत महापुरुष उपस्थित रहे।