गाजियाबाद। सिख धर्म के साथ सनातन धर्म की विचारधारा को मजबूत कर रहे पंजाब के निहंग जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह सोमवार को सिद्धपीठ दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर पहुंचे। जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह ने मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि के साथ भगवान दूधेश्वर का जलाभिषेक किया व पूजा-अर्चना की। श्रीमहंत नारायण गिरि ने उनका सम्मान किया। जाब के जिला रोपड़ के गांव रसूलपुर निवासी जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह ने बताया कि उनकी ही बल्कि उनके पूर्वजों की भी भगवान राम के प्रति सच्ची श्रद्धा व आस्था रही है।
राम मंदिर को लेकर पहली बार एफआईआर अयोध्या में 30 नवंबर 1858 को सिखों के विरूद्ध हुई। यह पहला मौका था जब निहंगों ने बाबरी मस्जिद पर कब्जा करके यहां हवन किया था। एफआईआर में बकायदा यह बात लिखी है कि निहंग सिख बाबरी ढांचे में घुस गए है और राम नाम के साथ हवन कर रहे हैं। इस केस में अन्यों के अलावा निहंग बाबा फकीर सिंह के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया। वे बाबा फकीर सिंह की आठवीं पीढ़ी के वंशज हैं।
जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि आज सिख पंथ को हिन्दू धर्म से अलग करके देखने वाले कट्टरपंथियों को जानना चाहिए कि राम मंदिर के लिए पहली एफआईआर हिन्दुओं के विरूद्ध नहीं सिखों के विरूद्ध हुई थी क्योंकि सिख सनातन हिन्दू धर्म संस्कृति के अभिन्न अंग व धर्म रक्षक योद्धा हैं। उनका किसी भी राजनीतिक दल के साथ संबंध नहीं है। वे केवल सनातन परंपराओं के वाहक हैं। जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर ने कहा कि उनके पूर्वज बाबा फकीर सिंह ने मुस्लिमों से मंदिर को आजाद करवाने के लिए सबसे पहले मोर्चा खोला था। बाबा फकीर सिंह उस समय हवन करने वाले निहंगों में शामिल थे, जिसके चलते उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई और उन्होंने कई यातनाएं भी सही।
बाबा फकीर सिंह व उनके परिवार को आज तक उचित मान सम्मान नहीं मिला। उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वे अयोध्या में लंगर लगाकर फिर एक नई पहल करने जा रहे हैं। बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि कुछ लोग निजी स्वार्थों के चलते सनातन परंपरा का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ रामलला विराजमान हो रहे हैं तो इसके लिए कुर्बानी करने वालों का नाम भी सुनहरी अक्षरों में लिखा जाए। जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि जब भी देश व धर्म को जरूरत पड़ेगी तो वे तथा उनका परिवार कभी पीछे नहीं हटेगा।
श्रीमहंत नारायण गिरि ने कहा कि अयोध्या में आज भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और उसमें सिखों का बहुत बडा योगदान है। अयोध्या के राम मंदिर मामले में पहली एफआईआर सिखों के खिलाफ दर्ज होना इस बात का प्र्रमाण है कि सिख व सनातन धर्म अलग-अलग नहीं है। राम मंदिर को चले संघर्ष में सिखों का अहम योगदान रहा है। पहली एफआर्इ्रआर सिखों के खिलाफ ही दर्ज हुई थी और एफआईआर में जिसमें बाबा फकीर सिंह का नाम भी था और जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह की आठवीं पीढ़ी के वंशज हैं।
निहंगों तथा सनातन विचारधारा के बीच तालमेल बिठाते समय आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ता है क्योंकि एक तरफ उन्होंने अमृतपान किया हुआ है तो दूसरी तरफ गले में रूद्राक्ष की माला भी पहली हुई है। वे जितना गुरुग्रंथ साहिब के बारे में बोलते हैं उतना ही रामायण व गीता के बारे में भी बात करते हैं। जत्थेदार हरजीत सिंह भगवान राम के गर्भ गृह में स्थापना को लेकर खासे उत्साहित हैं। वे कई बार अयोध्या भी जा चुके हैं। अब उन्होंने राम मंदिर न्यास समिति से 22 जनवरी को मूर्ति स्थापना के अवसर पर अयोध्या में लंगर लगाने की इजाजत भी मांगी है।