नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि वकीलों को उपभोक्ता संरक्षण कानून के दायरे में नहीं लाया जा सकता है। मंगलवार को जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि प्रोफेशनल्स को अलग तरीके से देखा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता कोर्ट के एक फैसले को निरस्त करते हुए कहा कि वकीलों को उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा 2(ओ) के तहत उसकी सेवा में कमी का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी प्रोफेशनल के लिए उच्चस्तरीय शिक्षा, स्किल और मानसिक श्रम की जरूरत होती है।
किसी प्रोफेशनल की सफलता के कई कारक होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अधीन लाने वाले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बनाम वीपी शांतना के फैसले पर दोबारा विचार करने की जरूरत बताई। कोर्ट ने कहा कि प्रोफेशनल्स का काम व्यापार और व्यवसाय से अलग होता है। कोर्ट ने कहा कि वकीलों के व्यवसाय को भी दूसरे व्यवसाय की तरह नहीं माना जा सकता है।