Saturday, April 27, 2024

हंगामे के कारण आज भी नहीं चल पाई लोकसभा-राज्यसभा, कार्यवाही मंगलवार तक स्थगित

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नयी दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी। वही राज्यभा भी हंगामे की भेट चढ गई। राज्यसभा में भी विपक्ष के हंगामे के कारण सोमवार को लगातार छठे दिन शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो सका तथा सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गयी।

पीठासीन अधिकारी डॉक्टर किरीट प्रेमभाई सोलंकी ने एक बार स्थगन के बाद दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू की, सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। हंगामे के बीच ज़रूरी काग़ज़ात पटल पर रखे गए।

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पीठासीन अधिकारी ने नारेबाज़ी कर रहे सदस्यों को अपने-अपने स्थान पर बैठने का आग्रह किया, लेकिन सभी उनकी बातों को अनसुना कर हंगामा करते रहे ,जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी।

इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सुबह 11 बजे जैसे ही सदन में प्रश्नकाल शुरू किया, सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के सदस्य अपनी अपनी सीटों पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। विपक्ष के सदस्य तख्तियां लेकर भी अपना विरोध व्यक्त करते रहे जिस पर अध्यक्ष ने गहरी नाराजगी भी जतायी लेकिन सदस्य उनकी बात अनसुनी कर तख्तियां लहराते रहे। हंगामे के बीच अध्यक्ष ने कहा, “प्रश्नकाल के बाद अपनी बात रखने का आपको पर्याप्त समय दिया जाएगा। मेरा आग्रह है कि प्रश्नकाल चलने दीजिए। सदन आपका है और मेरा प्रयास है कि सब लोग अपनी सीटों पर बैठे और सदन चलने दें।”

उन्होंने बार-बार सदस्यों से कहा कि नारेबाजी मत कीजिए। सदन नारेबाजी के लिए नहीं है, ऐसा करना उचित नहीं है। जब सदस्यों ने उनके आग्रह को नहीं सुना तो अध्यक्ष ने कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी।

इसी प्रकार राज्यसभा में भी भाेजनावकाश के उपरांत उप सभापति हरिवंश ने सदन की कार्यवाही शुरु कराने का प्रयास किया तो विपक्षी दलों के सदस्य जोर-जोर से नारेबाजी करते हुए शोर गुल करने लगे। इसके जवाब में सत्तापक्ष के सदस्य भी अपनी सीटों से आगे आ गये और जाेर-जोर से बोलने लगे।

उप सभापति ने दोनों पक्षों के सदस्यों से शांत होने और सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद महज दो मिनट के भीतर ही उन्होंने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।

इससे पहले सुबह में कार्यवाही शुरू होने पर आवश्यक दस्तावेज सदन पटल पर रखे जाने के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें विभिन्न सदस्यों से नियम 267 के अंतर्गत 22 नोटिस मिले हैं। अदानी समूह की कंपनियों के मामले से संबंधित ये नोटिस कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, कुमार केतकर, रंजीता रंजन और केसी वेणुगोपाल आदि ने दिये हैं। इसके साथ ही वामपंथी सदस्यों ने भी इसी से मिलते जुलते मुद्दे पर नोटिस दिये हैं। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने भी नोटिस दिया है।

उन्होंने कहा कि ये सभी नोटिस नियमों के अनुरूप नहीं होने के कारण खारिज किए जाते हैं। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्द्र शेखर राय और डेरेक ओ ब्रायन ने कुछ कहा जिसे सुना नहीं जा सका। बाद में विपक्षी दलों के सदस्य नारे लगाते हुए सभापति के आसन की ओर बढ़ने लगे। स्थिति को देखते हुए सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दी।

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण पिछले सोमवार से शुरू हुआ था और अभी तक हिंडेनबर्ग रिपोर्ट और विदेशों में भारतीय लोकतंत्र का अपमान करने के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव बना हुआ है, जिसके कारण पिछले सप्ताह किसी भी दिन शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं चल सका तथा कोई भी अन्य कामकाज नहीं हो सका। इस सप्ताह के पहले दिन भी स्थिति लगभग वैसी ही बनी हुई दिख रही है।

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