लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी, पूर्व कुलपति, पूर्व वाइस चांसलर और प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया। सीएम योगी की इस बैठक का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को ‘टीबी मुक्त उत्तर प्रदेश’ बनाने के लिए रणनीतियां बनाना था। बैठक में चर्चा की गई कि किस प्रकार टीबी के मरीजों को चिन्हित किया जा सकता है और उन्हें उचित इलाज प्रदान किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने इस अभियान में शिक्षकों और युवाओं को भी शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। बैठक में मौजूद पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण सिन्हा ने कहा कि टीबी मरीजों की पहचान के लिए सभी को अपने-अपने क्षेत्रों में काम करने का निर्देश दिया गया है। पूर्व आईएएस अरुण सिन्हा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल बहुत ही महत्वपूर्ण है। हम सभी अपने-अपने क्षेत्रों में टीबी मरीजों को चिन्हित करेंगे और उन्हें गोद लेकर इलाज करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। इस अभियान में शिक्षक और युवा भी शामिल होंगे, क्योंकि वे अपने क्षेत्रों को अच्छी तरह से जानते हैं।
जब छात्र और शिक्षक जिला अस्पतालों से जुड़ेंगे, तो टीबी मरीजों को सही इलाज मिलने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से टीबी मरीजों के इलाज के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इन योजनाओं का लाभ सभी मरीजों तक पहुंचे और इसकी पूरी निगरानी की जाएगी। योगी सरकार की ओर से इस अभियान के तहत जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उनका सही तरीके से क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाएगी, ताकि प्रदेश को टीबी मुक्त बनाया जा सके। वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हरेराम त्रिपाठी ने आईएएनएस को बताया कि सभी को बेहतर स्वास्थ्य उपलब्ध कराना सीएम योगी का लक्ष्य है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य है कि टीवी के मरीजों तो स्वस्थ किया जाए।