प्रयागराज। ‘महाकुंभ 2025’ को लेकर प्रयागराज में विशेष तैयारियां जारी है। मंदिर के पुजारी ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बात करते हुए बताया कि यहां के गंगा तट पर स्थित प्राचीन ‘नाग वासुकी मंदिर’ को राजस्थान के लाल पत्थरों से सजाया जा रहा है। इसके तहत दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजन को लेकर पौराणिक मान्यता वाले ‘नागवासुकी मंदिर’ को लाल पत्थरों से सजाने और संवारने का काम चल रहा है।
ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ में समुद्र मंथन करने वाले नागवासुकी के दर्शन मात्र से ही कालसर्प दोष दूर हो जाता है। पौराणिक और धार्मिक मान्यता के अनुसार देवताओं और राक्षसों ने नागवासुकी के सहयोग से ही समुद्र मंथन किया था। नागवासुकी को सुमेरु पर्वत में लपेटकर उनका प्रयोग रस्सी के तौर पर किया गया था। प्राचीन ‘नागवासुकी मंदिर’ के पुजारी पंडित श्याम बिहारी मिश्र ने आईएएनएस को बताया कि समुद्र मंथन के बाद नागराज वासुकी लहूलुहान हो गए थे।
भगवान विष्णु के कहने पर उन्होंने प्रयागराज में इसी जगह आराम किया था। इसी वजह से ‘नागवासुकी मंदिर’ में श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि नागवासुकी के दर्शन के बिना तीर्थराज प्रयाग की यात्रा अधूरी मानी जाती है। राजस्थानी लाल पत्थर अपनी खूबसूरती एवं गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। ये पत्थर न तो जल्दी ठंडे होते हैं और न ही गर्म। इन पर पानी गिरने के बाद और निखार आ जाता है।
इस पत्थर पर नक्काशी करना आसान होता है। इसीलिए यहां राजस्थानी लाल पत्थर का इस्तेमाल लिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार आस्था की नगरी प्रयागराज में लगने जा रहे ‘महाकुंभ 2025’ की तैयारियां युद्ध स्तर पर कर रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को तय समय सीमा में तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए हैं। महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। खास बात यह है कि महाकुंभ में डिजिटल टेक्नोलॉजी का भी खूब इस्तेमाल करने की बात सामने आई है। जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को काफी आसानी होगी।