सनातन अथवा हिंदू धर्म के विरोध का जो सिलसिला तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे एवं राज्य सरकार के मंत्री उदय निधि मारन द्वारा शुरू किया गया, वह कोई सहयोग नहीं बल्कि प्रयोग था.इसीलिए तो सनातन को लेकर सतत बयान बाजी जारी है. उदय निधि ने सनातन को डेंगू और मलेरिया बताकर उसे समाप्त करने की बात कही तो डीएमके पार्टी के ए राजा ने सनातन को ऐडस तक बता दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के पुत्र और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियंक खडग़े सनातन को बीमारी बताते हुए हिंदू धर्म को भेदभाव से भरा बता दिया. बिहार राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष जगतानंद सिंह ने तो देश की गुलामी के लिए तिलक लगवाने वालों यानी ब्राह्मणों को जिम्मेदार ठहरा दिया. पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने हिंदू धर्म को जाति व्यवस्था का कोड बता दिया. स्वयं मल्लिकार्जुन खडग़े पूर्व में कह चुके हैं कि सनातन के मजबूत होने से प्रधानमंत्री मोदी और आरएसएस मजबूत होंगे।
इसी तरह से कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मंत्री जी. परमेश्वर ने भी सनातन को भला बुरा कहा. जी परमेश्वर ने तो सनातन के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करते हुए यहां तक कह दिया कि आखिर सनातन आया कहां से? पर सबसे सही और इन सब का उद्देश्य तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री पोनगुडी ने व्यक्त कर दिया कि इंडिया गठबंधन बनाने का उद्देश्य ही सनातन का विरोध करना है और उसके प्रभाव को समाप्त करना है.लोगों को यह भी पता होगा कि इसी के तहत मुंबई में इंडिया गठबंधन की बैठक में ममता बनर्जी ने तिलक लगवाने से मना कर दिया था।
अब इनका सनातन का विरोध कहीं ना कहीं दोहरापन भी लिए हुए हैं. तभी तो स्टालिन की पत्नी और उदय निधि की मां केरल के गुरुवार मंदिर में जाकर सोने का हार भेंट करती हैं. लालू यादव जैसे लोग मुंबई की इंडिया की बैठक में जा करके सिद्धिविनायक मंदिर में जाना नहीं भूलते और माथे पर तिलक भी लगवाते हैं।
निसंदेह उदय निधि जैसे लोग जब सनातन का विरोध करते हैं तो यह उसी धारा का प्रवाह होता है जो डीएमके पार्टी का मुख्य उद्देश्य रहा है- सनातन और हिंदू धर्म को गाली देकर सत्ता में बने रहने की राजनीति? इसके पहले रामास्वामी पेरियार के कारनामों से देशवासी परिचित होंगे. जिन्होंने आर्य बनाम द्रविड़ की थ्योरी विकसित करते हुए अलग द्रविड़स्तान की मांग की थी. लेकिन बीते कई सालों से यह मुद्दा ठंडा पड़ा हुआ था, यद्यपि इस मोदी के दौर में भी जाति और संप्रदाय की राजनीति करने वालों की कमी नहीं थी
लेकिन बड़ा सवाल टाइमिंग का है. गौर करने की बात यह है कि आखिर में इसी समय सनातन का मुद्दा क्यों उठाया गया. जबकि कभी विवेकानंद ने इसी सनातन की पता का पूरे विश्व मैं फहराई थी. गांधी जी भी अपने को सनातनी और हिंदू कहने में गर्व महसूस करते थे. क्त धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी पूरे विश्व में हिंदू धर्म की पताका का फहरा रहे हैं. महान इतिहासकार अर्नाल्ड टायनबी ने लिखा है – हिंदू धर्म ‘जियो और जीने दो का धर्म है. इंग्लैंड के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक हिंदू होने पर गौरव महसूस करते हैं और खुलकर जय श्री राम बोलते हैं।
पूरी दुनिया में कहीं ना कहीं हिंदू धर्म के प्रति उसकी सहिष्णुता और वैज्ञानिकता के चलते आकर्षण बढ़ता जा रहा है. ऐसी स्थिति में यह बात समझ के परे है कि हमारे देश में ही सनातन का ऐसा विरोध क्यों? दिखता तो यह है कि जो लोग सनातन में भेदभाव और असमानता की शिकायत कर रहे हैं. कुल मिलाकर जातिवाद की शिकायत कर रहे हैं, पर वही लोग जातिवाद को बढ़ावा देने के लिए खास तौर पर पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में करने के लिए यह सभी उपक्रम कर रहे हैं. देखने में यही आ रहा है कि विकास और हिंदुत्व की धारा के चलते पिछड़ी जातियॉ भाजपा के पक्ष में भारी मात्रा में मतदान कर रही हैं. ऐसी स्थिति में इन पार्टियों को लगता है कि सनातन पर हमला करके ही जातिवाद को उभार कर ही पिछड़ी जातियों को अपने पक्ष में लाया जा सकता है।
जाति जनगणना की मांग भी इसी का एक बड़ा पहलू है पर इन्हें पता नहीं कि गंगा और कावेरी में अब बहुत पानी बह चुका है और समय की धारा को पीछे नहीं किया जा सकता. सनातन तो वह है जो चिर नूतन है, क्योंकि वह सतत परिवर्तनशील है. महात्मा गांधी का कहना था कि हिंदू धर्म ही दुनिया में मात्र ऐसा धर्म है जिसमें सुधार के लिए सतत प्रक्रिया चलती रही. महात्मा बुद्ध, महावीर. आचार्य शंकर, रामानंद कबीर, वल्लभाचार्य,स्वामी दयानंद सरस्वती सभी हिंदू धर्म को अंदर से माँजते रहे. दूसरे धर्म की तरह हिंदू धर्म में ना कोई एक किताब है ना एक पैगंबर है और ना उसकी आलोचना करना ही अपराध है.
तभी तो हिंदू धर्म में ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले नास्तिक भी हिंदू हैं. इस धर्म को मिटाने के लिए आक्रांताओं ने पता नहीं कितने प्रयास किया पर वह उसके अस्तित्व को मिटा नहीं पाए। अब तो मल्लिकार्जुन खडग़े के शब्दों में मोदी सरकार की अगुवाई में सचमुच सनातन मजबूत हो रहा है. जिसके चलते एक दिन भारत विश्व गुरु के आसन पर और समृद्धि के शिखर पर पुन: विराजमान होने के लक्षण दिख रहे हैं।
-वीरेंद्र सिंह परिहार