विवाह से पूर्व मंगेतर से मिलना लड़के-लड़की को एक दूसरे को जानने समझने का बेहतर मौका होता है लेकिन कई बार ऐसा मेल-जोल लड़के लड़की व उनके परिवारजनों के लिये समस्या भी खड़ी कर देता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिये क्या करें?
कुछ लोग सगाई की रस्म को लगभग शादी हो जाना ही मान बैठते हैं। ऐसे युवक-युवती सगाई के बाद से ही पति-पत्नी जैसा व्यवहार अपना बैठते है और संयम की सीमा को लांघ जाते हैं। यह उनकी बहुत बड़ी भूल है।
उन्हें सदैव याद रखना चाहिए कि अभी वे शादी की पक्की डोर में नहीं बंधे हैं। अभी दोनों के पति-पत्नी बनने में वैवाहिक औपचारिकता पूरी होनी बाकी है और किसी कारणवश शादी टूट भी सकते है।
प्रत्येक युवक-युवती अपने मन में अपने जीवन साथी के प्रति तरह-तरह की कल्पनाएं संजोते हैं। उनकी सोच यही रहती है कि उनका होने वाला जीवनसाथी कैसा होगा, क्या वह हूबहू उनकी कल्पनाओं के अनुरूप होगा, जीवन पर्यन्त उनका साथ निभा पायेगा? ऐसा सोचना महज कल्पनालोक में विचरण करना नहीं है वरन यह भावी जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है।
यह युवक-युवतियों पर निर्भर करता है कि वे अपनी मेल-मुलाकातों को आत्मपरिचय एवं मर्यादाओं के दायरे में सीमित रखते हैं या नहीं। उन्हें यह भी कभी नहीं भूलना चाहिए कि सगाई कच्चे घड़े के समान है जिसे अभी औपचारिकताओं की ऊष्मा से पकाया जाना शेष है। कच्चे घड़े से तनिक भी छेड़छाड़ या असावधानी उनके स्वप्नों को धूल-धूसरित कर सकती है। फिर भला सीमोल्लंघन क्यों।
निकट भविष्य में वे सर्वदा सदा के लिये एक-दूसरे के होने जा रहे हैं। अत: उन्हें पर्याप्त सूझबूझ समझदारी एवं पारस्परिक गरिमाओं को ध्यान में रखते हुए व्यवहार करना चाहिए। कभी-कभी कुछ युवक-युवतियां सेक्स का पूर्वानुभव प्राप्त करने के नाम पर यह मानकर कि ये अवश्यंभावी पति-पत्नी हैं, गलत कदम उठा लेते हैं यह अच्छी बात नहीं है। अन्ततोगत्वा इसके परिणाम सुखद नहीं होते।
माना कि यौन संबंध पूर्ण सावधानी से स्थापित किये गये हैं और यथासमय शादी भी हो गई मगर ऐसी स्थिति में उन की प्रथम रात्रि इतनी रोमांचक एवं उत्तेजक नहीं हो पाती जिसकी प्राय: प्रत्येक युवक-युवती कल्पनाएं संजोते हैं। जब सब कुछ नया लगना चाहिएं, उस वक्त सब कुछ बासी जैसा प्रतीत होता है।
प्रत्येक युवक-युवतियों को चाहिए कि वे परिचय के प्रथम दौर में एक-दूसरे के प्रति संयमित व्यवहार करें, एक-दूसरे की गरिमामय प्रशंसा करें एवं शालीन रूप में प्रेम की अभिव्यक्ति करें। वे मिल बैठकर जीवन की भावी रुप रेखा तय करें।
अत: मंगेतर से मिलें अवश्य मगर यह सोचकर कि उसके साथ आपको पूरा जीवन बिताना है। याद रखें प्रथम प्रभाव जीवनभर के लिए अमिट होता है।
यदि आप यौनाचार की भटकन में नहीं भटकते तो आपके जीवनसाथी पर प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा कि आप दृढ़प्रतिज्ञ हैं तथा पूर्ववर्ती जीवन में भी यौन संबंधों के प्रति ईमानदार रहे हैं।
– ए.के.द्विवेदी