नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि पंडित मदनमोहन मालवीय सम्पूर्ण वाङ्ग्मय युवा और आने वाली पीढ़ी को महामना के विचारों तथा आदर्शों और उनके जीवन से परिचित कराने का एक सश्क्त माध्यम बनेगा।
मोदी ने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती पर यहां विज्ञान भवन में आयाेजित कार्यक्रम में मदनमोहन मालवीय सम्पूर्ण वाङ्ग्मय का लोकार्पण करते हुए कहा कि इसके जरिए देश के स्वतन्त्रता संग्राम और तत्कालीन इतिहास को जानने समझने का एक द्वार भी खुलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा,“आज का दिन भारत और भारतीयता में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा पर्व की तरह होता है। आज महामना मदन मोहन मालवीय जी की जन्म जयंती है। आज अटल जी की भी जयंती है। मैं आज के इस पावन अवसर पर महामना मालवीय जी के श्री चरणों में प्रणाम करता हूँ। अटल जी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं।”
उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं और इतिहास तथा राजनीति विज्ञान के छात्रों के लिए यह वाङ्ग्मय किसी बौद्धिक खजाने से कम नहीं है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़े प्रसंग, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनका संवाद, अंग्रेजी हुकूमत के प्रति उनका सख्त रवैया और भारत की प्राचीन विरासत का मान इन पुस्तकाें में भरा पड़ा है। उन्होंने कहा कि महामना की डायरी समाज, राष्ट्र और आध्यात्म जैसे सभी आयामों में भारतीय जनमानस का पथप्रदर्शन कर सकती है।
मोदी ने कहा कि महामना जैसे व्यक्तित्व सदियों में एक बार जन्म लेते हैं और आने वाली कई सदियाँ हर पल, हर समय उनसे प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा,“भारत की कितनी ही पीढ़ियों पर महामना जी का ऋण है। वो शिक्षा और योग्यता में उस समय के बड़े से बड़े विद्वानों की बराबरी करते थे। वो आधुनिक सोच और सनातन संस्कारों के संगम थे! उन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम में जितनी बड़ी भूमिका निभाई, उतना ही सक्रिय योगदान देश की आध्यात्मिक आत्मा को जगाने में भी दिया! उनकी एक दृष्टि अगर वर्तमान की चुनौतियों पर थी तो दूसरी दृष्टि भविष्य निर्माण में लगी थी! महामना जिस भूमिका में रहे, उन्होंने ‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को सर्वोपरि रखा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में देश गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाकर विरासत पर गर्व करते हुए आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा,“हमारी सरकारों के कार्यों में भी आपको कहीं ना कहीं मालवीय जी के विचारों की महक महसूस होगी। मालवीय जी ने हमें एक ऐसे राष्ट्र का विज़न दिया था, जिसके आधुनिक शरीर में उसकी प्राचीन आत्मा सुरक्षित रहे, संरक्षित रहे। जब अंग्रेजों के विरोध में देश में शिक्षा के बायकॉट की बात उठी, तो मालवीय जी उस विचार के खिलाफ खड़े हुए, वो उस विचार के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बायकॉट की जगह हमें भारतीय मूल्यों में रची स्वतंत्र शिक्षा व्यवस्था तैयार करने की दिशा में जाना चाहिए। और मजा देखिए, इसका जिम्मा भी उन्होंने खुद ही उठाया, और देश को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में एक गौरवशाली संस्थान दिया।”
इस मौके पर केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल, महामना सम्पूर्ण वाङ्ग्मय के प्रधान संपादक राम बहादुर राय और महामना मालवीय मिशन के अध्यक्ष प्रभु नारायण श्रीवास्तव भी मौजूद थे।