कोलकाता| पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में बिचौलिये के रूप में काम करने वाले गिरफ्तार युवा तृणमूल कांग्रेस के नेता कुंतल घोष के लिए और मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं, क्योंकि इस मामले में गिरफ्तार दो अन्य बिचौलियों ने इस मामले में सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई है।
सूत्रों के मुताबिक, दो बिचौलियों तापस मंडल और नीलाद्रि घोष के वकीलों ने इस मामले में केंद्रीय एजेंसियों से शुरुआती बातचीत शुरू कर दी है। हालांकि, दोनों केंद्रीय एजेंसियों ईडी और सीबीआई में से किसी ने भी अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वे दोनों आरोपी बिचौलियों के सरकारी गवाह बनने के प्रस्ताव को स्वीकार करेंगी।
कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता ने कहा कि एक अभियुक्त के लिए सरकारी गवाह बनने की प्रक्रिया लंबी है, इस संबंध में सीआरपीसी की धारा 306 में प्रावधान हैं।
सबसे पहले, जांच निकाय को पक्ष और विपक्ष की जांच करने और उससे से उत्पन्न होने वाली संभावित भविष्य की कानूनी जटिलताओं की जांच करने के बाद सरकारी गवाह बनने के लिए आरोपी की याचिका को स्वीकार करना होगा।
गुप्ता ने समझाया, जांच एजेंसी तब संबंधित अदालत की अनुमति मांगेगी जहां मामले की सुनवाई हो रही है। न्यायाधीश ऐसा करने के कारणों और मामले में अन्य कानूनी कोणों को दर्ज करने के बाद इस पर अंतिम निर्णय लेंगे।
गुरुवार को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने कुंतल घोष, नीलाद्रि घोष और तापस मंडल की न्यायिक हिरासत 23 मार्च तक बढ़ा दी थी।