नई दिल्ली। बीजेपी सांसद भोला सिंह ने एससी/एसटी मामले में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें इस संबंध में ज्ञापन सौंपा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्रीमीलेयर और एससी/एसटी के संबंध में किए गए फैसले को लेकर यह ज्ञापन सौंपा। मुलाकात के बाद भोला सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह एससी समुदाय के आरक्षण को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होने देंगे। इससे पहले, सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने भी एससी/एसटी समुदाय को आरक्षण देने के संबंध में प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी।
सभी ने प्रधानमंत्री के समक्ष मांग रखी थी कि किसी भी कीमत पर उन्हें मिलने वाला आरक्षण प्रभावित ना हो। प्रधानमंत्री ने सांसदों से मुलाकात की तस्वीरें भी अपने एक्स हैंडल पर शेयर की। इसमें उन्होंने कहा, “आज एससी/एसटी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात हुई। एससी व एसटी समुदायों के कल्याण और उन्हें सबल बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता और संकल्प को दोहराया।” प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों को आश्वासन दिया है कि वो इस मामले को देखेंगे। भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने प्रधानमंत्री से कहा कि एससी/एसटी क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू नहीं होना चाहिए।
बीजेपी सांसद सिकंदर कुमार ने कहा, “कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी आरक्षण पर अपना फैसला सुनाया था। दोनों सदनों के करीब 100 सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और अपनी चिंताओं को उनके समक्ष रखा। प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों की बात ध्यानपूर्वक सुनी। प्रधानमंत्री ने हमें आश्वासन दिया है कि आपके हितों का विशेष ख्याल रखा जाएगा।” बीजेपी सांसद धवन पटेल ने कहा, “प्रधानमंत्री ने सांसदों को दृढ़ता से कहा कि इस निर्णय को लागू नहीं होना चाहिए। मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि इस फैसले की समीक्षा की जाएगी और इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा।” इससे पहले, लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जता चुके हैं। उन्होंने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से असहमत हैं। हम इस बात पर स्पष्ट हैं कि अनुसूचित जाति के वर्गीकरण का आधार अस्पृश्यता है।”
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, “एससी/एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है। इसलिए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) एससी और एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर के मानदंड को लागू करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेगी।” सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अगस्त के फैसले में कहा था, “राज्यों के पास अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण का सार्वभौमिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण मिल सके, जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हुई हैं।” कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के ‘मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों’ के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि ‘मर्जी’ और ‘राजनीतिक लाभ’ के आधार पर।’