Sunday, December 22, 2024

मुस्लिम सूफी संत ने भाजपा विधायक से कहा- आरोप साबित करें, तो देश छोड़ देंगे; यदि नहीं, तो आप पाकिस्तान जाएं

विजयपुरा (कर्नाटक)। सूफी मुस्लिम आध्यात्मिक नेता सैयद तनवीर हाशमी उर्फ तनवीर पीरा ने गुरुवार को भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल को चुनौती दी कि अगर उनके खिलाफ आतंकी संबंध के आरोप साबित हो गए तो वह देश छोड़ देंगे और अगर नहीं, तो भाजपा नेता को पाकिस्तान चले जाना चाहिए।

तनवीर पीरा ने कहा कि अगर आरोप साबित नहीं हुए तो विधायक यतनाल को अपने पद से इस्तीफा देकर पाकिस्तान चले जाना चाहिए।

यतनाल ने आरोप लगाया था कि तनवीर पीरा का आईएस आतंकी संगठन से संबंध है। उन्होंने 4 दिसंबर को हुबली में आयोजित एक धार्मिक सम्मेलन में उनके साथ मंच साझा करने के लिए सीएम सिद्दारमैया पर भी सवाल उठाया था।

विधायक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र भी लिखा था और तनवीर पीरा की मिडिल ईस्ट की कथित हालिया यात्राओं और आतंकवादी समर्थकों और कट्टरपंथी इस्लामी गुर्गों से मुलाकात की तस्वीरें साझा की थीं।

तनवीर पीरा ने कहा, “यतनाल द्वारा मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। मैंने 4 दिसंबर को हुबली में आयोजित सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था। सीएम सिद्दारमैया, कानून मंत्री एच.के. पाटिल, अन्य मंत्री और विधायक मौजूद थे। सीएम किसी समुदाय या समाज तक सीमित नहीं हैं। सभी धर्मों और जातियों की सेवा करना सीएम का कर्तव्य है।”

“सीएम सिद्दारमैया के बढ़ते कद को बर्दाश्त नहीं कर पाने के कारण विधायक यतनाल ने मुझ पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बयान दिया है। यह केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया गया है।”

“यतनाल सभी दस्तावेज केंद्रीय और राज्य जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराएं और एक सप्ताह में इस्लामिक स्टेट से कनेक्शन साबित करें। उन्हें यह साबित करने के लिए सबूत जारी करना चाहिए कि मेरे आतंकवादियों से संबंध हैं। अन्यथा उन्हें अपने विधायक पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और पाकिस्तान चले जाना चाहिए।”

तनवीर पीरा ने कहा, “अगर यह साबित हो गया कि मेरे आतंकी संबंध हैं तो मैं देश छोड़ दूंगा। मेरे शिष्य और छात्र भी देश छोड़ देंगे।”

तनवीर पीरा ने अपने सोशल मीडिया पर देशभक्ति गीत “सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा” का फुटेज भी साझा किया।

सम्मेलन के आयोजक सैयद ताजुद्दीन कादरी ने कहा कि तनवीर पीरा सिर्फ विद्वान नहीं हैं, वह एक सूफ़ी संत हैं। 2016 में, वह सूफी विश्व सम्मेलन के आयोजकों में से एक थे। उस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे, तब यतनाल चुप क्यों थे? अगर वह जो कह रहे थे वह सच था तो उन्होंने बोला क्यों नहीं?

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