नयी दिल्ली- राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग, दंत चिकित्सा सलाहकार परिषद और दंत चिकित्सा शिक्षा को निगमित करने वाला राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक 2023 मंगलवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गई। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
यह विधेयक दंत चिकित्सा अधिनियम 1948 का स्थान लेगा और राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग कथा राष्ट्रीय दंत चिकित्सा सलाहकार परिषद का गठन करेगा।
विधायक के अनुसार केंद्र सरकार 33 सदस्यों वाले एक राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग का गठन करेगी। इसकी अध्यक्षता एक प्रतिष्ठित और अनुभवी दंत चिकित्सक करेगा। अध्यक्ष की नियुक्ति खोज और चयन समिति की सिफारिशों के अनुरूप की जाएगी इस समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करेंगे।
चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि सरकार समग्रता में विश्वास रखती है और उसी दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि देश में स्वास्थ्य सेवा है। यह उद्योग नहीं है। इसका व्यापार नहीं किया जाता। कोरोना काल में हमारे डॉक्टरों, नर्सों और सहायक कर्मियों ने यह साबित कर दिया है।
उन्होंने कहा कि देश में 156000 आरोग्य केंद्र बनाए जा रहे हैं। इनमें चिकित्सकों और और सहायक कर्मियों की आवश्यकता है। सरकार की पूर्ति करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य सभी को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराना है। दंत चिकित्सा भी स्वास्थ्य सेवा का ही पास एक हिस्सा है। सरकार का उद्देश्य पूरे देश में चिकित्सा शिक्षा में समानता लाना है और इसके लिए लगातार प्रयास जारी है।
उन्होंने कहा कि विधेयक के सभी प्रावधान व्यापक विचार विमर्श के बाद तय किए गए हैं। देश में चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शी और जवाबदेही वाली प्रक्रिया स्थापित की जा रही है। सभी आयोगों और परिषदों में कोई भी व्यक्ति चार साल से अधिक सदस्य नहीं रहेगा।
चर्चा में बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा, भारतीय जनता पार्टी के सिकंदर कुमार, वाईएसआरसीपी के एस निरंजन रेड्डी, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, टीएमसी- एम के जीके वासन, भारतीय जनता पार्टी के भुवनेश्वर कालिता, बीजू जनता दल की ममता मोहंता, वाईएसआरसीपी के वी विजय साई रेड्डी तथा तेलुगू देशम पार्टी के कनकमेदला रविंद्र कुमार ने हिस्सा लिया।