Saturday, April 27, 2024

जी-20 के डिनर में नीतीश कुमार की शिरकत उर्फ़ एक तीर से दो निशाने

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बिहार में  भाजपा के साथ गठबंधन तोडऩे के एक साल से भी ज्यादा समय बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दिल्ली में जी20 रात्रिभोज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात क्या हुई, राजनीति में तरह-तरह की अटकलबाजियों का बाजार गर्म होने लगा। सारी अटकलबाजियों की जड़ एक तस्वीर है जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल है।

इसमें प्रधानमंत्री मोदी बिहार के मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार और झारखंड के मुख्यमंत्री  हेमंत सोरेन का परिचय अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से कराते नजर आ रहे हैं। तस्वीर में बाइडेन के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी मौजूद हैं। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने सोशल मीडिया पर इसे पोस्ट किया था। इंडिया गठबंधन के कई मुख्यमंत्री  जी20 डिनर से दूर रहे ।

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गौरतलब है कि जी20 डिनर के लिए ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत के नाम से देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री  को निमंत्रण भेजा गया था लेकिन इससे विपक्षी इंडिया गठबंधन के कई मुख्यमंत्रियों ने अलग-अलग कारणों से कन्नी काट ली । जिस तस्वीर की बात हम कर रहे हैं, वह इसलिए खास है कि इसमें मौजूद दोनों ही मुख्यमंत्री  इंडिया गठबंधन के ही सदस्य हैं।

कई महीनों बाद प्रधानमंत्री मोदी से हुई नीतीश की मुलाकात पहले जी20 डिनर में विपक्ष शासित राज्यों के जिन मुख्यमंत्रियों के शामिल होने की संभावना सबसे कम लग रही थी, उसमें नीतीश सबसे प्रमुख थे क्योंकि वे पिछले कई महीनों में ऐसे तमाम कार्यक्रमों में नहीं पहुंचे थे जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होने वाले थे।

यही नहीं, विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के भी असली सूत्रधार वही हैं जिसका मुख्य एजेंडा ही प्रधानमंत्री मोदी और उनकी अगुवाई वाली बीजेपी-एनडीए का विरोध करना है। इंडिया बैठक की पहली बैठक उन्होंने पटना में ही आयोजित करवाई थी और उसकी कमान भी उन्होंने ही संभाली थी।

गौरतलब है कि नीतीश कुमार भले ही इस वक्त इंडिया  गठबंधन का हिस्सा हैं और 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को एकजुट करने में  उन्होंने अगुआ की भूमिका निभाई है मगर इस गठबंधन की बेंगलुरु और मुंबई में हुई बैठकों में जिस तरीके से नीतीश कुमार एक नेता की भूमिका में नजर आ रहे थे मगर बेंगलुरु और मुंबई की बैठक को कांग्रेस ने जिस तरीके से हाईजैक किया है, उसके बाद नीतीश कुमार अब इस विपक्षी गठबंधन में अलग-थलग नजर आने लगे ।

नीतीश कुमार जिन्होंने विपक्षी दलों को एकजुट किया और इंडिया  गठबंधन के बनने के बाद उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि सभी विपक्षी दल के नेता उन्हें इस गठबंधन का संयोजक बनाएंगे, मगर ऐसा कुछ भी अब तक नहीं हुआ । सूत्रों से मिली जानकारी के दौरान नीतीश कुमार को उम्मीद थी कि मुंबई की बैठक में गठबंधन के संयोजक के नाम का ऐलान किया जाएगा मगर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने नीतीश के साथ बड़ा खेल कर दिया जिसके बाद विपक्षी गठबंधन में किसी भी संयोजक के  नाम की घोषणा नहीं हुई बल्कि इससे अलग से 14 सदस्य कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन कर दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार के संयोजक नहीं बनने के पीछे की बड़ी वजह आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद हैं। दरअसल, जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक लालू और कांग्रेस ने आपस में मिलकर नीतीश कुमार का खेल बिगाड़ दिया है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार जहां उम्मीद कर रहे थे कि मुंबई की बैठक में उन्हें संयोजक बनाया जाएगा, वहीं दूसरी तरफ लालू ने नीतीश का खेल बिगाड़ते हुए यह घोषणा कर दी थी कि इससे विपक्षी गठबंधन में एक नहीं बल्कि 3 या 4 संयोजक बनाए जा  सकते हैं और प्रत्येक संयोजक को तीन या चार राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

 

मुंबई की बैठक में हुआ भी ऐसा ही। किसी भी एक संयोजक के नाम का ऐलान नहीं हुआ और इससे अलग इंडिया गठबंधन के कोआर्डिनेशन कमेटी के नाम की घोषणा हो गई। लालू के इस खेल से नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा और उनके प्रधानमंत्री बनने का सपना भी सपना ही रह गया। बताया जा रहा है कि लालू नहीं चाहते थे कि नीतीश कुमार इस विपक्षी गठबंधन के संयोजक बनें क्योंकि ऐसा होने से नीतीश का कद राष्ट्रीय राजनीति में बहुत ज्यादा बढ़ जाता और फिर जब बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे का समय आता तो नीतीश  अपने कद का इस्तेमाल करके कांग्रेस और आरजेडी से ज्यादा सीटों की मांग कर सकते थे।

गौरतलब है कि पिछले साल जब द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनी थीं तो उस वक्त नीतीश कुमार एनडीए में ही थे मगर द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में वह शामिल नहीं हुए थे। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि इस बार जब नीतीश कुमार विपक्ष में हैं तो आखिर ऐसा क्या हो गया कि राष्ट्रपति के रात्रि भोज के कार्यक्रम में नीतीश कुमार पहुंच गए।

जबकि विपक्षी गठबंधन के कई  मुख्यमंत्रियों ने ऐसे कार्यक्रम से अपने आप को दूर रखा? इसका जवाब दरअसल यह है कि नीतीश कुमार की विपक्षी गठबंधन में हो रही लगातार अनदेखी को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति के भोज कार्यक्रम में शामिल होने का दांव चला ताकि विपक्षी दलों को इस बात का एहसास कराया जा सके कि नीतीश कुमार के रास्ते और विकल्प पूरी तरीके से खुले हुए हैं और अगर उन्हें इंडिया  गठबंधन में कोई महत्वपूर्ण और बड़ी  भूमिका नहीं मिली तो वह दोबारा भाजपा के साथ भी जा सकते हैं।

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का  भी मानना है कि  नीतीश कुमार के राष्ट्रपति के भोज कार्यक्रम में शामिल होने के कदम  इसी से जुड़ा है। इंडिया  गठबंधन में लालू के एक्टिव होने के बाद नीतीश कुमार जो अलग-थलग हो चुके हैं, उन्होंने भी लालू और कांग्रेस को अपने तरीके से चेतावनी दे दी है कि उनकी भूमिका को विपक्षी गठबंधन में दरकिनार ना किया जाए।

नीतीश कुमार ने भाजपा को एक बार नहीं बल्कि दो बार धोखा देकर आरजेडी के साथ सरकार बना ली है मगर इसके बावजूद भी 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार की उपयोगिता अभी बनी हुई है। बिहार जैसे राज्य जहां पर जाति के आधार पर वोटिंग होती है और 2015 विधानसभा चुनाव में भी स्पष्ट हो चुका है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के साथ आने के बाद भाजपा की जबरदस्त हार हुई थी, उसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा की भी कोशिश यही नजर आती है कि किसी तरीके से  2024 लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश और लालू को अलग किया जाए ताकि वोटों का बंटवारा हो और फिर इसका फायदा भाजपा को मिल सके।

माना जा रहा है कि भाजपा के बड़े नेताओं ने भले ही नीतीश कुमार को लेकर यह ऐलान कर रखा है कि अब उनकी तीसरी बार दोबारा एनडीए में एंट्री नहीं होगी मगर भाजपा को इस बात का एहसास है कि जब नीतीश कुमार का साथ उन्हें मिला था तो 2019 लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें एनडीए गठबंधन ने जीती थीं।  2024 में भी यह तभी संभव होगा जब नीतीश कुमार लालू से अलग हटकर एक बार फिर एनडीए में आ जाएं।

भाजपा को एहसास है कि अगर नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए में शामिल हो जाते हैं तो बिहार में इसका फायदा उन्हें  मिलेगा मगर दूसरा सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या भाजपा इस बात का जोखिम उठाएगी कि जो नीतीश कुमार, जिनका  बिहार में राजनीतिक कद काफी घट चुका है और जिन की विश्वसनीयता भी लगभग समाप्त हो चुकी है, उन्हें फिर से मुख्यमंत्री  बनाए और फिर उन्हीं के नेतृत्व में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़े?

नीतीश कुमार अगर दोबारा भाजपा के साथ आते हैं तो किस रूप में आएंगे और किस तरीके से भाजपा उन्हें अपने साथ लेगी, इसको भी लेकर अभी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। हाल फि़लहाल तो नीतीश कुमार ने एक तीर से दो निशाने  साध दिए हैं।
-अशोक भाटिया

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