पटना। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। इस विस्तार से सीएम नीतीश कुमार ने चुनाव के पहले न केवल जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है बल्कि भाजपा और जदयू ने ‘मिशन 40’ को भी गति देने का ख्याल रखा।
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें है और एनडीए ने सभी सीटों पर जीत दर्ज करने का लक्ष्य तय किया है। शपथ ग्रहण समारोह में उपमुख्यमंत्री रहीं रेणु देवी, मंगल पांडेय, अशोक चौधरी समेत 21 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली।
नए मंत्रियों में भाजपा कोटे से 12 और जदयू कोटे से 9 विधायकों को मंत्री बनाया गया। नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल मंत्रियों पर गौर करें तो इस विस्तार में आगामी चुनावों को ध्यान में रखा गया है। इस विस्तार में सवर्ण और दलितों को तवज्जो दी गई है।
मंत्रिमंडल के इस विस्तार में छह सवर्णों और छह दलितों को जगह मिली है। हालांकि, देखा जाए तो नीतीश कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ लेने वाले नए मंत्रियों के चयन में जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा गया है।
शपथ लेने वाले 21 मंत्रियों में 6 सवर्ण, 6 दलित, 4 अति पिछड़ा, 4 पिछड़ा और एक मुस्लिम चेहरा शामिल है।
मंत्री बने मंगल पांडेय, नीतीश मिश्रा, नीरज कुमार बबलू, नीतीन नबीन, संतोष सिंह और लेसी सिंह सवर्ण वर्ग से आते हैं। जबकि, जनक राम, कृष्णनंदन पासवान, महेश्वर हजारी, सुनील कुमार, रत्नेश सदा और अशोक चौधरी दलित समाज से आते हैं। नए मंत्रियों में महिलाओं को भी तरजीह दी गई है। रेणु देवी, शीला मंडल और लेसी सिंह को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।