Tuesday, March 11, 2025

औषधि से कम नहीं तिल का तेल! त्वचा, हड्डी और दिल का रखता है खास ख्याल

नई दिल्ली। हमारे शरीर के लिए तिल जितना फायदेमंद हैं, तिल का तेल उससे ज्यादा फायदेमंद है। तिल का तेल एक ऐसा अद्भुत पदार्थ है जिसे सदियों से भारतीय घरों में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह तेल न केवल स्वाद में बेमिसाल है, बल्कि इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण भी यह एक अमूल्य रत्न माना जाता है। भारतीय उपमहाद्वीप में तिल का तेल विशेष रूप से सर्दियों में आयुर्वेदिक उपचारों में एक अहम स्थान रखता है।

 

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आयुर्वेद के अनुसार, तिल का तेल वात, पित्त और कफ को संतुलित करने का कार्य करता है और शरीर को आंतरिक रूप से मजबूत करता है। तिल के तेल का वर्णन आयुर्वेद की प्रसिद्ध ग्रंथों में जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में किया गया है, जहां इसे स्वास्थ्य लाभ के लिए एक प्रमुख औषधि माना गया है। यह त्वचा को कोमल और चमकदार बनाने में मदद करता है। साथ ही, तिल के तेल का सेवन करने से यह शरीर के भीतर सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है। यह शरीर के जोड़ों में लचीलापन बनाए रखने में भी सहायक है।

 

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तिल के तेल में एक विशेष एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो तेल को गर्मी और समय के साथ खराब होने से बचाता है। प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों में इसका उपयोग बाहरी और आंतरिक दोनों तरीकों से किया जाता था। इस तेल का इस्तेमाल न केवल खाने में, बल्कि शरीर की मालिश, बालों की देखभाल और त्वचा के लिए भी किया जाता था। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक तिल के तेल को शरीर को अंदर से पोषित करने वाला और बीमारियों से लड़ने में सहायक मानते थे। चरक संहिता में इसे ‘बलवर्धक’ और ‘तन-मन की शांति’ देने वाला बताया गया है।

 

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इसके अलावा, सुश्रुत संहिता में इसका उपयोग जोड़ों के दर्द और त्वचा रोगों के इलाज के लिए भी किया गया था। यह न केवल आयुर्वेद में बल्कि विज्ञान में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वैज्ञानिक शोधों से यह साबित हुआ है कि तिल के तेल में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन ‘ई’, सेसमिन, सेसमोल और ओमेगा-3 जैसे तत्व होते हैं जो शरीर में सूजन को कम करने, रक्तचाप को नियंत्रित करने और दिल को स्वस्थ रखने में सहायक हैं। यह खालिस देसी तरीका है अपने चेहरे को दमकाने और झुर्रियों को उम्र से पहले न हावी होने देने का। सेसमिन और सेसमोल जैसे तत्व मस्तिष्क में सेरोटोनिन की वृद्धि करते हैं, जिससे तनाव और अवसाद कम होता है।

 

 

 

इसके सेवन से मानसिक स्थिति में सुधार होता है और व्यक्ति खुद को ज्यादा शांत और खुश महसूस करता है। साथ ही, तिल का तेल पाचन प्रक्रिया को भी बेहतर बनाता है, जिससे शरीर को उचित पोषण मिल पाता है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव करने में भी तिल के तेल का कोई जवाब नहीं। तिल में पाया जाने वाला सेसमीन नामक एंटीऑक्सीडेंट कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।

 

 

 

 

 

आधुनिक शोधों ने यह भी साबित किया है कि तिल के तेल के सेवन से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। यह विशेष रूप से मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही, यह तेल हृदय की सेहत को बेहतर बनाता है, क्योंकि इसमें आयरन और मैग्नीशियम जैसे खनिज होते हैं, जो दिल की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और रक्त प्रवाह को सामान्य रखते हैं। तिल के तेल का एक अन्य लाभ यह है कि यह कब्ज को दूर कर पेट को साफ रखता है।

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