नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में साफ किया है कि किसी व्यक्ति के महज 40 फीसदी से ज्यादा बोलने और भाषा को समझने की असमर्थता (दिव्यांगता) के चलते उसे मेडिकल कॉलेज में दाखिले से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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नेशनल मेडिकल काउंसिल के मौजूदा नियमों के मुताबिक 40 फीसदी से ज्यादा ऐसी दिव्यांगता की स्थिति में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला नहीं मिल सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ 40 फीसदी दिव्यांगता होने भर से कोई एमबीबीएस में दाखिले के अयोग्य नहीं हो जाएगा।
डिसेबिलिटी असेसमेंट बोर्ड अगर इस नतीजे पर पहुंचता है कि दिव्यांग होने की वजह से वो पढ़ाई पूरी करने में असमर्थ है, तभी उसे दाखिले से इनकार किया जा सकता है।