Friday, April 25, 2025

15 करोड़ बकाया न चुकाने पर नोएडा का स्कूल सील, प्रिंसिपल और पेरेंट्स के बीच हुई धक्का-मुक्की, 1500 बच्चों के भविष्य पर आया सवाल

नोएडा। नोएडा प्राधिकरण ने करीब 15.49 करोड़ रुपये बकाया न चुकाने पर नोएडा के सेक्टर-56 स्थित सीबीएसई से मान्यता प्राप्त एक स्कूल को सील कर दिया है। अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड पब्लिक स्कूल को 1991 में 3549 वर्गमीटर जमीन कुल जमीन की कीमत के 20 फीसदी पर आवंटित की गई थी। उसके बाद से स्कूल प्रबंधन ने कभी कोई राशि नहीं दी। प्राधिकरण ने 3 सितंबर 2020 में भूमि आवंटन रद्द कर दिया था। लेकिन कोविड महामारी के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस स्कूल में 1500 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं।

प्राधिकरण की ओएसडी वंदना त्रिपाठी ने बताया कि सेक्टर-56 के ई-1ए के भूखंड पर स्कूल का निर्माण किया गया है। भूखंड का आवंटन उत्तराखंड जन कल्याण परिषद के नाम से 1991 का है। 1992 में कब्जा लिया गया। इस दौरान 20 प्रतिशत पैसा जमा किया गया। 80 प्रतिशत के लिए किस्त बनाई गई, लेकिन एक बार भी पैसा जमा नहीं किया गया। बकाया के संबंध में प्रबंधन को 11 अगस्त को 2020 को अंतिम नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने बताया कि इससे पहले 14 मार्च 2023 और 6 अप्रैल 2023 को भी कब्जा वापस करने के लिए पत्र दिए गए। लेकिन कब्जा वापस नहीं किया गया। 21 अप्रैल 2023 को कब्जा वापस करने के लिए नोटिस जारी कर तीन दिन का समय दिया गया, जिसके बाद 24 अप्रैल को प्राधिकरण ने स्कूल को सील कर दिया गया।

इसमें करीब 1500 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। हाल ही में नए स्टूडेंट के दाखिले भी यहां हुए हैं। पेरेंट्स का आरोप है स्कूल प्रबंधन और प्राधिकरण दोनों ने ही हमको अंधेरे में रखा। बिना जानकारी दिए ही स्कूल को सील कर दिया। पैरेंट्स ने कहा कि उनके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। अब उनको कौन दाखिला देगा।

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स्कूल सीलिंग की जानकारी मिलने ही पैरेंट्स की भीड़ स्कूल गेट पर जमा हो गई। इसके बाद प्राधिकरण पुलिस वहां पहुंची। कुछ देर बाद स्कूल का स्टाफ और प्रिंसिपल को बाहर जाने के लिए कहा गया, जिसके बाद पैरेंट्स ने प्रिंसिपल को घेर लिया और जवाब मांगने लगे। प्रिंसिपल और स्टाफ के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। पुलिस प्रशासन ने पैरेंट्स को शांत कराया। प्राधिकरण ने स्कूल के प्रिंसिपल ऑफिस और बाहर से मेन गेट को सील कर दिया।

हंगामा करते हुए एक पैरेंट्स ने कहा कि उनके दो बच्चे यहां पढ़ते हैं। स्कूल में 2200 से लेकर 4000 तक की फीस ली जा रही है। उन्होंने कहा, “जब हम लोग लगातार फीस दे रहे हैं तो इन लोगों ने क्यों प्राधिकरण में पैसा जमा नहीं कराया।”

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