Tuesday, November 5, 2024

मप्र के सेंट पीटर्स स्कूल पर देश भर में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, दो करोड़ से अधिक के जुर्माने का नोटिस

भोपाल। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले की डबरा तहसील के सिमरिया में बने सेंट पीटर स्कूल में राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम को निरिक्षण के दौरान अनेक खामियां मिलीं थीं जिसके बाद जिला परियोजना समन्वयक जिला शिक्षा केन्द्र ग्वालियर की ओर से इन्हें गंभीरता से लेते हुए देश भर में किसी निजि स्कूल पर इतिहास में अब तक के सबसे बड़े जुर्माने का नोटिस दिया गया है।

दिए गए “कारण बताओ सूचना पत्र” में साफ उल्लेख किया गया है कि गंभीर अनियमितताओं और बिना मान्यता के स्कूल संचालन करने के लिए एक लाख रुपए के अतिरिक्त प्रतिदिन से 10 हजार रुपए का अर्थदण्ड वसूला जाएगा। गुरुवार शाम निकाले गए इस नोटिस में तीन दिवस के अंदर संतुष्ट हो जानेवाले उत्तर को देने के लिए कहा गया है, अन्यथा इस भारी भरकम राशि को स्कूल संचालक द्वारा जमा करवाना अनिवार्य होगा।

दरअसल, सेंट पीटर स्कूल में 27 मार्च सोमवार को जब राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा और ओंकार सिंह पहुंचे तो परिसर के हालात देखकर हतप्रभ रह गए थे। हर कक्षा में न सिर्फ क्रॉस, ईशू, बाईबिल को उद्धरित किया गया था बल्कि प्रार्थना की विशेष पुस्तिकाएं भी जगह-जगह मिलीं, जिनका पाठ सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है। इतना ही नहीं तो कागज खगालने पर पता चला कि विद्यालय संचालन की मान्यता तो वर्ष 2016 में ही समाप्त हो चुकी है। साथ ही जब आयोग के सदस्यों ने 1997 से अब तक की पूरी मान्यता संबंधी फाइल देखना चाही तो स्कूल संचालक वह भी उपलब्ध नहीं करा सका। आयोग द्वारा पूछा गया कि जब विद्यालय को स्कूल संचालन की अनुमति ही नहीं थी तो वह किस आधार पर वर्षों से संचालित हो रहा है? इस प्रश्न का कोई भी सही उत्तर प्राचार्य फादर दीलिप नंदा नहीं दे पाए ।

इस पूरे मामले को अब गंभीरता से लेते हुए कार्यालय जिला शिक्षा केन्द्र, ग्वालियर ने अब “कारण बताओ सूचना पत्र” संचालक और प्राचार्य अशासकीय सेंट पीटर्स स्कूल सिमरिया टेकरी-डबरा के नाम जारी किया है। जिसमें लिखा है कि बीआरसीसी डबरा ने विद्यालय की मान्यता दिनांक 12.06.2016 को समाप्त होने की जानकारी दी है, इस संबंध में लगातार विद्यालय को अवगत कराया जाता रहा। समय-समय पर अनेक कारण बताओ सूचना पत्र भी जारी किये गये किन्तु स्कूल द्वारा उपरोक्त पत्रों का न तो जबाव ही दिया गया और न ही मान्यता नवीनीकरण हेतु प्रस्ताव बीआरसीसी को प्रेषित किया । जिसके चलते उक्त कृत्य निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 में वर्णित प्रावधानों के प्रतिकूल पाया जाता है।

इस नोटिस में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के हवाले से कहा गया है कि “कोई व्यक्ति, जो मान्यता प्रमाण पत्र अभिप्राप्त किए बिना कोई विद्यालय स्थापित करता है या चलाता है या मान्यता वापस लेने के पश्चात् विद्यालय चलाना जारी रखता है, जुर्माने से, जो एक लाख रूपए तक का हो सकेगा और उल्लंघन जारी रहने की दशा में जुर्माने से जो ऐसे प्रत्येक दिन के लिए जिसके दौरान ऐसा उल्लंघन जारी रहता है, दस हजार रूपए तक का हो सकेगा, दायी होगा।” ऐसे में जब राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, बाल कल्याण समिति एवं महिला बाल विकास विभाग की संयुक्त टीम द्वारा दिनांक 27 मार्च को विद्यालय का निरीक्षण किया गया जिसमें विद्यालय निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 19 में अनुसूची में विनिर्दिष्ट मानकों के अनुरूप नहीं पाया गया ।

सेंट पीटर स्कूल वर्ष 2016 से बिना मान्यता प्राप्त किये अवैध रूप से निरंतर संचालित किया जा रहा है जो निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों के प्रतिकूल है। क्यों न अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन करने के कारण मान्यता समाप्ति दिनांक से रूपये 10,000/प्रति दिवस के मान से राशि की बसूली करने एवं रूपये 1,00000/- जुर्माना लगाने की कार्यवाही की जावे? उक्त के संबंध में आप अपना करते हुये नोटिस प्राप्ति दिनांक से बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, लिए आप पूर्ण रूप से स्वंय उत्तरदायी प्रतिवाद (पक्ष) प्राथमिक शिक्षा कक्षा एक से आठ तक का संचालन बंद तीन दिवस में प्रस्तुत करें। अन्यथा आपके विरूद्ध निःशुल्क एवं अनिवार्य 2009 के प्रावधानों के अंतर्गत एकपक्षीय कार्यवाही की जावेगी जिसके रहेंगे।

कहना होगा कि जिस तरह से इस स्कूल को लेकर एक के बाद एक खुलासे होना पाया जा रहा है, जिसमे कि अहम रूप से अन्य तमाम अनियमितताओं के बीच अब बिना मान्यता के संकुल प्राचार्य पर दबाव डालकर छात्रवृत्ति का अप्रअप्रूवल लिया गया पाया गया है। बिना मान्यता के वर्षों तक स्कूल संचालन करने का अहम मामला है ही, उसके बाद संभावना यही है कि इस विद्यालय को अब स्कूल शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश के खाते में कम से कम जुर्माने के तौर पर दो करोड़ से अधिक की राशि जमा करना होगी जोकि देश के इतिहास में अब के लगाए किसी भी स्कूल के जुर्माना राशि में अब तक की सबसे अधिक राशि होगी ।

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