नोएडा। कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद आज उसके शव को उसके भाई ओमप्रकाश व चाचा ने मेरठ मोर्चरी से लिया। शव लेकर ये लोग गांव दुजाना पहुंचे। जहां पर उसका अंतिम संस्कार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच किया गया। अंतिम संस्कार के दौरान गांव दुजाना में क्षेत्र के हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगबाग एक बार अनिल दुजाना के चेहरे को देखना चाह रहे थे।
गैंगस्टर अनिल दुजाना के शव का दुजाना में अंतिम संस्कार होने की सूचना से जनपद गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने वहां पर भारी पुलिस व्यवस्था की है। पुलिस के आला अधिकारी और गुप्तचर एजेंसियां पल-पल पर नजर रखे रही। बताया जाता है कि अनिल दुजाना का परिवार काफी समय से गांव छोड़कर दिल्ली रहने चला गया था, गांव के लोगों का कहना है कि काफी वर्ष से अनिल दुजाना गांव भी नहीं आया था। लेकिन गांव में ही उसके अंतिम संस्कार किया गया है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार के टॉप 64 और गौतमबुद्धनगर जिले की टॉप-7 माफिया सूची में शामिल अनिल दुजाना को कल यूपी एसटीएफ ने मेरठ में एक मुठभेड़ में मार गिराया। इसके साथ ही उसका 21 सालों का अपराध की दुनिया का सफर एक गोली के साथ ही खत्म हो गया। सेना में भर्ती होने में विफल रहने के बाद उसने शौक के लिए गांव कस्बों में रंगबाजी शुरू की। अनिल नागर ने वर्ष 2002 में अपराध की दुनिया में कदम रखा। गैंगस्टर सुंदर भाटी के अवैध सरिया व स्क्रैप कारोबार में एक गुर्गे की तरह काम करने वाला अनिल नागर उनके विरोधी रणदीप भाटी गिरोह का खास बना और फिर उनके यहां अपराध की पाठशाला से अपराध और अपराधियों के बीच की राजनीति सीख कर पश्चिमी उप्र का गैंगस्टर अनिल दुजाना बन गया।
21 वर्षों में उसके खिलाफ हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी, आर्म्स एक्ट के 65 मुकदमे पश्चिमी उप्र के आधा दर्जन से अधिक जिलों में दर्ज हुए। इसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत भी मुकदमा दर्ज हुआ। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में औद्योगिक विकास के साथ ही ट्रांसपोर्ट, स्क्रैप व फैक्ट्रियों में श्रमिक लगवाने के ठेके का धंधा शुरू हुआ। यहीं से नोएडा, ग्रेटर नोएडा में बदमाश पनपने शुरू हुए इस काम में पहले कुख्यात नरेश भाटी और सुंदर भाटी गैंग शामिल थे। बाद में नरेश भाटी जिला पंचायत चेयरमैन बन गया।
वर्ष 2004 में नरेश की सुंदर भाटी गैंग ने हत्या कर दी। उसके छोटे भाई रणपाल ने गैंग की कमान संभाली तो अनिल दुजाना उसमें शार्प शूटर के रूप में शामिल हुआ। वर्ष 2006 में रणपाल को बुलंदशहर पुलिस ने सिकंदराबाद में एनकाउंटर में मार गिराया। उसके छोटे भाई रणदीप भाटी ने गैंग की कमान संभाल ली। काफी दिनों तक अनिल दुजाना ने रणदीप गैंग के लिए काम किया। दोनों हाथों से हथियार चलाने में माहिर अनिल सुपारी लेकर लोगों की हत्या करता था।